Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने से इनकार कर दिया. अदालत ने माना कि उनका समय बढ़ाने वाली अर्जी में दिया गया कोई भी कारण ऐसा नहीं है जिसकी वजह से वो अदालत का फैसला ना मानें, या उनके आत्मसमर्पण के समय को बढ़ाया जाए. दोषियों को अब रविवार तक सरेंडर करना होगा.
गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में सभी 11 दोषियों ने जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए और समय देने का अनुरोध करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. रिपोर्ट के अनुसार, दोषियों ने निजी कारण बताते हुए समय बढ़ाने की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने से इनकार कर दिया. दोषियों को अब रविवार तक सरेंडर करना होगा.
आपको बता दें कि गुजरात सरकार ने इन सभी दोषियों को रिहाई से पहले ही माफी के तौर पर जेल से रिहा कर दिया था. सरकार के इस फैसले पर विपक्ष समेत कई लोगों ने सवाल उठाए थे. इसके बाद सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 8 जनवरी को सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने दोषियों को दो हफ्ते के भीतर जेल में सरेंडर करने का आदेश दिया.
11 में से तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सरेंडर की अवधि बढ़ाने की मांग की है. गोविंद नाई ने कोर्ट से 4 हफ्ते की मोहलत मांगी है, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 हफ्ते की मोहलत मांगी है. इन दोषियों ने निजी कारणों का हवाला दिया है.
2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए. इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आया. मार्च 2002 में बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया था. इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. First Updated : Friday, 19 January 2024