Story of Amar singh : अपने जमाने के जाने-माने राजनेता अमर सिंह का आज के दिन 27 जनवरी 1956 को जन्म हुआ था. अमर सिंह सपा मुखिया मुलायम सिंह के बहुत खास दोस्तों में एक थे. अमर सिंह एक जमाने में समाजवादी पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता रहे, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उनको पार्टी से निकाल दिया गया. कुठ समय बाद समय फिर बदला और अमर सिंह की पार्टी में वापसी हुई. अमर सिंह राजनीतिज्ञ होने के साथ ही हिंदी के अच्छे ज्ञाता और हर पार्टी के नेताओं के साथ अच्छे संबंधों के लिए जाने जाते थे. हालांकि अखिलेश यादव के पार्टी अध्यक्ष बनने के वह समाजवादी पार्टी अलग हो गये थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव से उनकी दोस्ती राजनीति में बेहद चर्चित रही. अमर सिंह की जिंदगी सियासत और ग्लैमर का कॉकटेल थी. आज अमर सिंह के जन्म दिन पर उनके जुड़ी रोचक कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं.
अमर सिंह को लेकर राजनीतिक जानकार कई तरह के दावे करते हैं. कुछ का कहना है कि भारतीय राजनीति में संसाधनों की जरूरत होती है और उन्हें जुटाने में वह ‘मास्टर’ थे. वहीं कुछ का कहना था कि वो मुलायम सिंह के किसी बड़े राज के बारे में जानते थे. यहीं वजह थी कि दोनों में दोस्ती अच्छी थी और अमर सिंह का पार्टी में दबदबा था.
साल 2016 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अमर सिंह की पार्टी में वापसी हुई. इसके पीछे राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुलायम सिंह अमर सिंह पर बहुत भरोसा करते थे. राजनीति में जिस तरह की ज़रूरतें होती हैं, चाहे वो संसाधन जुटाने की बात हो या जोड़तोड़ या नेटवर्किंग की, इनके लिए अमर सिंह को मुलायम पार्टी के लिए उपयुक्त मानते थे. ये बात अपनी जगह बिल्कुल सही है कि अमर सिंह ‘नेटवर्किंग के बादशाह’ थे.
अमर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे थे, जिसके चलते वह काफी अलोकप्रिय हो गए थे. वह संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा के सदस्य भी रहे. 6 जनवरी, 2010 को अमर सिंह ने सपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 2 फरवरी, 2010 को पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया. वर्ष 2011 में अमर सिंह कुछ समय के लिए न्यायिक हिरासत में भी रहे. अमर सिंह ने सपा से निकाले जाने के बाद खुद की राजनीतिक पार्टी भी बनाई लेकिन राष्ट्रीय लोक मंच के उम्मीदवारों की 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान ज़मानत ज़ब्त हो गई. 2014 में अमर सिंह राष्ट्रीय लोक दल से लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन बुरी तरह हार गए.
सपा के मुखिया और ‘धरती-पुत्र’ कहे जाने वाले मुलायम सिंह और किसानों व पिछड़ों की पार्टी – समाजवादी पार्टी को आधुनिक और चमक-धमक वाली राजनीतिक पार्टी में तब्दील करने वाले अमर सिंह ही थे. चाहे वो जया प्रदा को सांसद बनाना हो, या फिर जया बच्चन को राज्य सभा पहुंचाना हो, या फिर संजय दत्त को पार्टी में शामिल करवाना रहा हो, ये सब अमर सिंह का करिश्मा था. उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए शीर्ष कारोबारियों को एक मंच पर लाने का भी प्रयास किया. एक समय में समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत ऐसी थी कि उनके चलते आज़म ख़ान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नज़दीकी नेता नाराज़ होकर पार्टी छोड़ गए थे.
मुलायम और अमर सिंह के रिश्ते की नींव एचडी देवेगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने के पड़ी. देवेगौड़ा हिंदी नहीं बोल पाते थे और मुलायम अंग्रेजी. ऐसे में देवेगौड़ा और मुलायम के बीच दुभाषिए की भूमिका अमर सिंह निभाते थे. यहां से दोनों के बीच दोस्ती शुरू हुई. अमर सिंह की बात मुलायम कितना मानते थे, इसका उदाहरण है कि अखिलेश और डिंपल की शादी के लिए मुलायम पहले तैयार नहीं थे, लेकिन ये अमर सिंह ही थे जिन्होंने मुलायम को इस शादी के लिए तैयार किया.
देश में गठबंधन की राजनीति का दौर चला और इसमें समाजवादी पार्टी जैसी 20 से 30 सीटों वाली पार्टियों की अहमियत बढ़ी और जानकार मानते हैं कि इसके साथ ही अमर सिंह की भूमिका भी ख़ूब बढ़ी. इसके अनेक उदाहरण मौजूद हैं. एक वाकया तो यही है कि 1999 में सोनिया गांधी ने 272 सांसदों के समर्थन का दावा कर दिया था, लेकिन उसके बाद समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को अपना समर्थन नहीं दिया और सोनिया गांधी की ख़ूब किरकिरी हुई. इसके बाद 2008 में भारत की न्यूक्लियर डील के दौरान वामपंथी दलों ने समर्थन वापस लेकर मनमोहन सिंह सरकार को अल्पमत में ला दिया. तब अमर सिंह ने ही समाजवादी सांसदों के साथ-साथ कई निर्दलीय सांसदों को भी सरकार के पाले में ला खड़ा किया था.
संसद में नोटों की गड्ढी लहराने का मामला भी देश ने देखा और इस मामले में अमर सिंह को तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा था. उस दौर में मीडिया के सामने वो टेप भी आये जिनमें कथित तौर पर बिपाशा बसु का नाम लेकर की गई अमर सिंह की बातों ने उनके व्यक्तित्व की एक और परत को बंद दरवाज़ों के पीछे चर्चा का विषय बना था. संसदीय राजनीति को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि अमर सिंह वो शख़्स थे जिनके सभी पार्टियों में शीर्ष स्तर पर करीबी दोस्त थे. चाहे वो भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस हो या फिर वामपंथी पार्टियां ही क्यों ना हों. अमर सिंह का व्यक्तित्व पानी जैसा था जो हर किसी में मिल जाता या मिल सकता था.
अमर सिंह बॉलीवुड के स्टार कलाकारों के साथ उठने-बैठने लगे थे और देश के शीर्षस्थ कारोबारियों के साथ नज़र आने लगे थे. बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ अमर सिंह की इतनी बनने लगी थी कि दोनों एक दूसरे को परिवार का सदस्य बताते थे. हालांकि 2010 में जब समाजवादी पार्टी से अमर सिंह निकाले गए और उनके कहने पर भी जया बच्चन ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा नहीं दिया, तो दोनों को अलग होते देर नहीं लगी. उद्योग जगत में अनिल अंबानी और सुब्रत राय सहारा जैसे कारोबारियों के साथ भी अमर सिंह की गाढ़ी दोस्ती रही.
अमर सिंह के व्यक्तित्व के बारे में कई पत्रकारों का कहना हैं कि अमर सिंह की सबसे बड़ी ख़ासियत यह थी कि वे सामने वाले को किस चीज़ की किस समय पर जरूरत है, इसे भांप लेते थे. अगर सामने वाला मुसीबत में हो, तो वो सीमा से आगे जाकर भी उसकी मदद करते थे. इस गुण के चलते उन्हें लोगों का भरोसा मिलता रहा. जब अमिताभ बच्चन की एबीसीएल कंपनी कर्ज में डूब गई थी और अमिताभ अपने करियर के सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहे थे और कोई उनकी मदद के लिए तैयार नहीं था, तब अमर सिंह ही थे जो कथित तौर पर दस करोड़ की मदद लिए अमिताभ के साथ खड़े नज़र आये थे.
मूल रूप से आज़मगढ़ के कारोबारी परिवार में जन्मे अमर सिंह का बचपन और युवावस्था के दिन कोलकाता में बीते थे, जहां वे बिड़ला परिवार के संपर्क में आये, और केके बिरला का भरोसा हासिल करने के बाद दिल्ली पहुंच गये. बिड़ला और भरतिया परिवार की नज़दीकियों के चलते एक समय में अमर सिंह ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के निदेशक मंडल में भी रहे. अमर सिंह के बारे में यह भी कहा जाता है कि सिंह ग्लैमर के बिना नहीं रह सकते थे. इसके लिए वे मीडिया का इस्तेमाल करना भी जानते थे. पहले वे हिंदुस्तान टाइम्स के निदेशक रहे, फिर सहारा मीडिया के निदेशकों में भी रहे. अंतिम दिनों में ज़ी समूह के मुखिया से भी उनकी नज़दीकियां रहीं. इस लिहाज़ से देखें तो अमर सिंह राजनीति, ग्लैमर, मीडिया और फ़िल्म जगत को एक कॉकटेल बना चुके थे. समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता और मौजूदा राज्यसभा सांसद अमर सिंह का 1 अगस्त 2020 को सिंगापुर में इलाद के दौरान माउंट एलीजाबेथ अस्पताल में निधन हो गया. First Updated : Saturday, 27 January 2024