गौतम अडानी के खिलाफ SEC आरोपों पर BJD और DMK ने दी सफाई, कहा- आरोपों में कोई सच्चाई नहीं

राहुल गांधी ने अडानी पर लगे आरोपों के संदर्भ में भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला, लेकिन न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट के दस्तावेजों में जिन भारतीय राज्यों के अधिकारियों को रिश्वत देने का उल्लेख किया गया है, उन राज्यों में तब कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सरकारें थीं.

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Gautam Adani news: अमेरिका के Securities and Exchange Commission (SEC) ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार, अडानी और उनके साथियों ने भारतीय राज्यों में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल करने के लिए अधिकारियों को 2,110 करोड़ रुपये ($265 मिलियन) रिश्वत दी. यह कथित घटनाएं 2020 से 2024 के बीच हुई थीं. 

आरोपों में गौतम अडानी के साथ उनके भतीजे सागर अडानी, और अन्य सहयोगी विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा, और रूपेश अग्रवाल के नाम शामिल हैं. SEC की रिपोर्ट के मुताबिक, इन प्रोजेक्ट्स के लिए अमेरिकी निवेशकों से फंड जुटाए गए थे, जिससे समूह को अगले 20 वर्षों में लगभग 2 अरब डॉलर का लाभ होने का अनुमान था.

राहुल गांधी का प्रधानमंत्री पर हमला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया. राहुल ने कहा कि अडानी का कुछ नहीं होगा क्योंकि प्रधानमंत्री उनके दबाव में हैं. अगर पीएम ने जांच कराई, तो खुद फंस जाएंगे. अडानी ने देश को हाईजैक कर लिया है.

कांग्रेस-शासित राज्यों की भूमिका

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि जिन राज्यों में सोलर एनर्जी के ठेके हासिल करने के लिए रिश्वत दी गई, उनमें कांग्रेस और उसके सहयोगियों की सरकारें थीं. राज्यों की सूची में छत्तीसगढ़ (कांग्रेस), तमिलनाडु (डीएमके-कांग्रेस गठबंधन), आंध्र प्रदेश (वाईएसआरसीपी), और ओडिशा (बीजेडी) शामिल हैं.

संबित पात्रा ने आगे कहा कि राहुल गांधी ने 2019 में राफेल मुद्दे पर भी ऐसा ही दावा किया था, लेकिन बाद में माफी मांगनी पड़ी. कांग्रेस नेता अक्सर भारत की रक्षा संरचनाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बनाते हैं.

सियासी हंगामा और बढ़ता विवाद

अडानी पर लगे आरोपों ने भारतीय राजनीति में नया हंगामा खड़ा कर दिया है. जहां कांग्रेस इसे प्रधानमंत्री की जवाबदेही का मामला बता रही है, वहीं बीजेपी ने कांग्रेस शासित राज्यों पर आरोप लगाकर राहुल गांधी के बयानों को खारिज किया है. यह मामला आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.

चार राज्य शामिल 

मामले में अडानी ग्रीन एनर्जी और एक अन्य रिन्यूएबल-एनर्जी कंपनी, एज़्योर पावर पर आरोप है कि इन कंपनियों ने सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावाट सोलर एनर्जी सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया. हालांकि, SECI को खरीदार ढूंढने में समस्या आ रही थी, क्योंकि राज्य सरकारों के लिए SECI से सोलर एनर्जी खरीदना महंगा पड़ रहा था. इस कारण, बिना खरीदार के सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था और कंपनी को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता था. अडानी ग्रुप पर आरोप है कि उसने ओडिशा (तब नवीन पटनायक की बीजेडी द्वारा शासित), तमिलनाडु (डीएमके शासित), छत्तीसगढ़ (कांग्रेस शासित), और आंध्र प्रदेश (तब जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस का शासन) में सोलर एनर्जी सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए इन राज्यों के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी.

आरोपों पर DMK की सफाई 

अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों पर DMK प्रवक्ता ए सरवनन ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा नेता एक भ्रष्ट उद्योग समूह का बचाव क्यों कर रहे हैं? अगर अडानी समूह से उनका कोई संबंध नहीं है, तो बीजेपी सरकार जांच का आदेश क्यों नहीं दे रही? उन्हें क्या रोक रहा है? हमारे ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया है कि डीएमके सरकार के सत्ता में आने के बाद अडानी के साथ हमारा कोई भी सौदा नहीं हुआ है. अगर किसी ने रिश्वत ली है, तो उसे गिरफ्तार किया जाए. आपके पास ईडी और सीबीआई है, तो उन्हें गिरफ्तार करो! हमारी द्रमुक सरकार ने पहले ही राज्य को घटिया कोयला सप्लाई करने के मामले में अडानी समूह के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं. सवाल यह है कि क्या बीजेपी अडानी और उनकी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का साहस दिखाएगी?

बीजू जनता दल ने क्या कहा?

अडानी समूह के साथ नवीन पटनायक की सरकार के समय बिजली खरीद समझौतों पर बीजू जनता दल (BJD) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2021 में हुआ यह बिजली खरीद समझौता दो सरकारी एजेंसियों के बीच था. एक भारत सरकार का उद्यम एसईसीआई और दूसरी राज्य सरकार की पीएसयू ग्रिडको. यह डील केंद्र सरकार की योजना का हिस्सा थी, जिसे मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड सोलर स्कीम कहा जाता है. इस डील के तहत SECI से सबसे कम दरों पर 500MW सोलर एनर्जी ओडिशा को प्राप्त होना था. पूरी डील में अडानी ग्रुप या किसी अन्य प्राइवेट कंपनी से कोई बातचीत नहीं थी. ओडिशा अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 2011 से ही SECL और NTPC जैसे केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों से रिन्यूएबल एनर्जी खरीद रहा है. इसलिए ओडिशा के संबंध में ये आरोप निराधार और गलत हैं. First Updated : Friday, 22 November 2024