2019 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 75 प्लस फॉर्मूला लागू किया, जिसके तहत कई वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर कर दिया गया. इस फॉर्मूले का असर कई प्रमुख नेताओं पर पड़ा. आइये देखें इनकी लिस्ट
91 वर्ष की आयु में, लालकृष्ण आडवाणी 2019 में सक्रिय राजनीति से बाहर हो गए. वे गुजरात के गांधीनगर से सांसद थे, लेकिन उनकी सीट अमित शाह को दे दी गई. इसके बाद वे दिल्ली में अपने निवास पर स्वास्थ्य लाभ लेने लगे.
मुरली मनोहर जोशी भी इस फॉर्मूले की चपेट में आ गए. 85 वर्ष की आयु में, 2019 में जोशी ने राजनीति से विदा ले ली. वे कानपुर लोकसभा सीट से सांसद थे लेकिन उनकी जगह सत्यदेव पचौरी को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया.
झारखंड के खूंटी से सांसद और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा को भी 75 प्लस फॉर्मूले के चलते 2019 के चुनाव में मौका नहीं मिला. उनकी जगह अर्जुन मुंडा को उम्मीदवार बनाया गया.
लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन, जिन्हें ताई के नाम से जाना जाता है, भी इस फॉर्मूले से प्रभावित हुईं. 2019 में, इंदौर सीट से उनकी जगह शंकर लालवानी को टिकट दिया गया, जो चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का भी इस फॉर्मूले के कारण 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट काटा गया. उनकी बहू कृष्णा गौर को उनकी जगह उम्मीदवार बनाया गया, जो वर्तमान में मंत्री हैं.
मध्य प्रदेश की कद्दावर नेता कुसुम महदेले को भी 2018 के विधानसभा चुनाव में 75 साल की उम्र के कारण टिकट नहीं मिला. उनकी जगह पन्ना से बिजेंद्र प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया गया.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी भी 2019 में इस फॉर्मूले से प्रभावित हुए. नैनीताल से सांसद कोश्यारी की जगह अजय भट्ट को टिकट मिला, जिन्होंने 2019 और 2024 में जीत हासिल की. बाद में कोश्यारी को राज्यपाल नियुक्त किया गया.
मधुबनी से सांसद हुकुमदेव नारायण यादव भी इस फॉर्मूले की चपेट में आए, लेकिन उन्होंने अपने बेटे अशोक यादव को टिकट दिलवाने में सफलता पाई, जो दो बार सांसद चुने गए.
हिमाचल प्रदेश के कांगरा से सांसद शांता कुमार को भी 2019 में टिकट नहीं मिला. उनकी जगह किशन कपूर को टिकट दिया गया जिन्होंने चुनाव जीतकर संसद में स्थान पाया.