मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री के नाम को लेकर इन राज्यों में पेंच फंसा हुआ नजर आ रहा है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इसको लेकर लगातार मंथन कर रहा है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व चाहते हैं कितीनों ही राज्यों में ऐसी सरकार बने, जिसमें आदिवासी, ओबीसी, महिला और युवा वर्ग को साधा सजा सके क्योंकि अगले साल यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी कोई नुकसान नहीं झेलना चाहती है. सरकार के जरिये पार्टी की कोशिश इन राज्यों में हर प्रभावशाली वर्ग को साधने की है. पार्टी नेतृत्व चाहता है कि तीनों ही राज्यों में ऐसी सरकार बने, जिसमें आदिवासी, ओबीसी, महिला और युवाओं को वरीयता देने के जनता के बीत संदेश पहुंचे. खासकर महिला मतदाताओं का पूरी तरह साथ बना रहे. इसके लिए नतीजों के बाद से ही कई स्तर पर विमर्श जारी है.
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नेताओं का केंद्रीय नेतृत्व से भेंट का दौर पिछले चार दिन से जारी है. नरेंद्र तोमर और बाबा बालकनाथ ने गृह मंत्री अमित शाह से जहां भेंट की, वहीं रेणुका सिंह और वसुंधरा राजे ने जेपी नड्डा से मुलाकात की. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जेपी नड्डा ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है. हालांकि अभी तक तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के नाम का फैसला नहीं हो पाया है.
भाजपा सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को तीनों राज्यों में विधायकों की राय जानने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की घोषणा शुक्रवार को हो सकती है. मुख्यमंत्रियों के नामों का एलान सप्ताह के अंत तक होने की उम्मीद है. पर्यवेक्षक राज्यों के दौरे में विधायकों से एक-एक कर मुलाकात करेंगे.
राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे सिंधिया आलाकमान सीएम नहीं बनाना चाहता यह बात किसी से छिपी नहीं है. कहा जा रहा है कि उनके 50 करीबी नेताओं ने पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा है और इनमें से ज़्यादातर को जीत मिली है. जीत के बाद वसुंधरा के आवास में 25 से 30 विधायकों के मिलने की खबर है. हालांकि राजे मुख्यमंत्री बनने के लिए खेमेबाजी शुरू कर चुकी हैं. विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा अगर 50 विधायकों का समर्थन जुटा लेती हैं तो बीजेपी आलाकमान उन्हें दरकिनार नहीं कर सकता. इस बार के चुनाव में आठ निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है. इनमें से अधिकांश विधायकों का समर्थन वसुंधरा को मिल सकता है. ऐसे में अगर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा को नजरअंदाज करता है तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राजस्थान में इसका खामियाजी उठाना पड़ सकता है.
मध्य प्रदेश में चार बार और 18 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने वाले शिवराज सिंह चौहान को जन नेता कहा जाता है. मध्यप्रदेश बीजेपी शिवराज सिंह के बराबर कोई दूसरा नेता लोकप्रिय नहीं हैं. 2023 के चुनाव में बीजेपी भले की उनको सीएम फेस नहीं बनाया हो लेकिन उनकी लाडली बहना योजना ने चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत दिलाया है यह बात किसी से छिपी नहीं है. बीजेपी में शिवराज सिंह के सीएम नाम पर अधिकांश विधायकों को भी आपत्ति नहीं हैं. शिवराज सिंह भले ही मीडिया में यह बयान दे रहे हैं कि सीएम फेस मैं नहीं हूं और केंद्रीय नेतृत्व इस पर फैसला करेगा, लेकिन बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व शिवराज को नकार नहीं सकता, नहीं तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान हो सकता है.
First Updated : Friday, 08 December 2023