क्षेत्रीय समीकरण या जातीय गणित..., दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन? राजधानी में बढ़ी भागादौड़ी
इस बार दिल्ली में बीजेपी को विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों से व्यापक समर्थन मिला है. दिल्ली में पूर्वांचली, हरियाणवी, पहाड़ी और पंजाबी मतदाताओं का प्रभाव अधिक है. खासकर यूपी और बिहार से आने वाले पूर्वांचली वोटरों का प्रभाव 20 सीटों पर निर्णायक रहा है.

Delhi New CM: दिल्ली में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद, अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर तमाम चर्चाएं हो रही हैं. पार्टी ने चुनाव में नारे 'बदलकर रहेंगे दिल्ली' के साथ जनता को आकर्षित किया और दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद वापसी की. इसके साथ ही, मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अब कई समीकरणों पर विचार किया जा रहा है. बीजेपी ने इस बार चुनाव में बिना किसी चेहरा घोषित किए ही चुनाव लड़ा था और अब विधायकों की सहमति के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
इस बार दिल्ली में बीजेपी को विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों से व्यापक समर्थन मिला है. दिल्ली में पूर्वांचली, हरियाणवी, पहाड़ी और पंजाबी मतदाताओं का प्रभाव अधिक है. खासकर यूपी और बिहार से आने वाले पूर्वांचली वोटरों का प्रभाव 20 सीटों पर निर्णायक रहा है. इसके अलावा, हरियाणा की सीमा से सटी 10 सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन भी शानदार रहा है, जबकि पंजाबी समुदाय की 28 सीटों में से 23 पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. इस प्रकार, क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर बीजेपी मुख्यमंत्री का नाम तय कर सकती है, ताकि सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके.
दिल्ली सीएम के लिए इन नामों की चर्चा
अगले मुख्यमंत्री के लिए कई नामों पर चर्चा हो रही है, जिसमें प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद, मोहन सिंह बिष्ट और सतीश उपाध्याय जैसे नेताओं के नाम प्रमुख हैं. प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से आते हैं और जाट बहुल सीटों पर बीजेपी की जीत को देखते हुए, वह एक मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. इसके अलावा, पंजाबी समुदाय के मनजिंदर सिंह सिरसा और वैश्य समुदाय के सतीश उपाध्याय भी इस रेस में शामिल हैं.
जातीय समीकरण को देखते हुए, बीजेपी एक महिला मुख्यमंत्री पर भी विचार कर सकती है, जैसे रेखा गुप्ता, जो शालीमार बाग से जीतकर आई हैं. इसके अलावा, जितेंद्र महाजन भी वैश्य समुदाय से आने वाले एक और संभावित नाम हैं. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की भूमिका भी अहम है, क्योंकि उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा था और उनका संगठन पर अच्छा प्रभाव है.
बीजेपी के लिए फैसला चुनौतीपूर्ण
दिल्ली में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह फैसला बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि पार्टी ने पिछले चुनावों में ऐसे नेताओं को सीएम बनाया था जिनका पहले कोई नाम नहीं था. इस बार भी चौंकाने वाला कोई चेहरा सामने आ सकता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी दिल्ली के किसी सांसद को भी मुख्यमंत्री बना सकती है, लेकिन यह निर्णय पीएम मोदी की वापसी के बाद लिया जा सकता है.
10 दिन का लग सकता है समय
अंतिम निर्णय में थोड़ी देरी हो सकती है, क्योंकि पार्टी के प्रभारी जय पांडा ने भी साफ किया था कि सीएम का ऐलान करने में कम से कम दस दिन का समय लगेगा.