10 साल बाद हरियाणा से BJP की बेदखली, आखिर क्यों नहीं बच पाई लाज?
Haryana Election: हरियाणा में 5 अक्टूबर को सभी 90 सीटों पर विधानसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है. इस चुनाव को लेकर एग्जिट पोल भी सामने आ गए है. एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार हरियाणा में भाजपा की सरकार नहीं बनेगी. शनिवार को जारी अधिकांश भविष्यवाणियों ने हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत और जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु सदन दिया है.
Haryana Election: शनिवार को जारी एग्जिट पोल के अनुसार, इस बार हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी का एक दशक से चला आ रहा राज इस बार खत्म हो जाएगा. हरियाणा में लगभग हर पोल्स्टर ने कांग्रेस को 50 से ज़्यादा सीटें दी हैं, जबकि कुछ ने तो यह भी भविष्यवाणी की है कि पार्टी 90 सदस्यीय विधानसभा में 60 से ज़्यादा सीटें जीत सकती है. इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि आखिर बीजेपी ने कहां कमी कर दी जिसकी वजह से उसकी सरकार बनने की संभवना कम दिखाई दे रही. तो चलिए ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानते हैं.
बता दें कि एग्जिट पोल के अनुसार, 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस को 44-54 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं भाजपा को 19-29 सीटें मिलने का अनुमान है. हरियाणा में बहुमत का आंकड़ा 46 सीटों का जो कांग्रेस को मिल रही है. वहीं जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-एनसी के बढ़त में रहने और भाजपा को 2014 के मुकाबले सीटों में कोई खास बढ़त नहीं मिलने का अनुमान लगाया गया है.
10 साल बाद हरियाणा से BJP का पत्ता साफ
हरियाणा में बीजेपी की जीत की हैट्रिक लगेगी या नहीं? इस पर चर्चा जारी है. तमाम एग्जिट पोल्स में सैनी सरकार के एग्जिट की भविष्यवाणी हुई है. हालांकि, बीजेपी नेताओं को पूरा उम्मीद है कि उसकी सरकार बनेगी. लेकिन एग्जिट पोल को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है. तीजों में बदले तो उसे नुकसान पहुंचाने वाली 5 वजहें कौन सी होंगी आपको बताते हैं.
हरियाणा में बीजेपी की हार के 5 कारण
1. अगर हरियाणा में बीजेपी की हार होती है तो इसका एक कारण किसानों-जाटों की नाराजगी हो सकती है. बीजेपी ने परिवारवाद के नाम पर कांग्रेस को घेरने के लिए हुड्डा फैमिली को निशाना बनाया और कांग्रेस राज में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया था. हालांकि, चुनाव में बीजेपी का ये प्लान भी काम नहीं आया. जनता और शायद खुद बीजेपी को कुछ कार्यकर्ता और समर्थक भी 'अबकी बार चार सौ पार' वाली गफलत में बने रहे जो बीजेपी की हार का कारण बन सकती है.
2. बीजेपी की नैया तो 2019 के चुनाव में ही डूब जाती लेकिन अंत समय में जजपा (JJP) ने सरकार बनवा दी. वरना उस समय भी 5 साल की सरकार की सत्ता विरोधी लहर उसी समय भारी पड़ गई थी. दो साल बाद 2021-22 में हरियाणा की बेरोजगारी दर 9% थी, जो राष्ट्रीय दर 4.1 फीसदी से दोगुनी से भी ज्यादा थी. बीजेपी सरकार ने अपने घोषणापत्र में 2 लाख नौकरियों का वादा किया था, लेकिन 10 साल की सरकार के बावजूद वो करीब 1.85 लाख खाली पदों को भरने में नाकाम रही है जो बीजेपी का हार का बड़ा कारण बन सकती है.
3. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से भी हरियाणा के लोग काफी नाराज हैं. सरकार ने परिवार पहचान पत्र, संपत्ति पहचान पत्र, मेरी फसल मेरा ब्यौरा, भावांतर भरपाई योजना, पेंशन योजना के ई-पोर्टल शुरू किए. ऐसे में सरकार को लग रहा था कि ऑनलाइन होने से लोगों का ज्यादा फायदा मिलेगा और उनकी नाराजगी भी कम होगी, क्योंकि ये बात सौ फीसदी सच थी कि खट्टर राज में लोगों को तमाम अच्छी योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा था. यानी कोशिशें कागजों तक रह गईं और ग्राउंड जीरो तक काम नहीं हुआ.
4. चुनावों को जीतने के लिए नैरेटिव गढ़े जाते हैं. मिसालें दी जाती हैं और वो हर चीज किया जाता है जिसमें जीत की जरा भी उम्मीद होती है. महाराष्ट्र में शनिवार को लोकसभा चुनावों की तर्ज पर राहुल गांधी एक आयोजन में पहुंचे 'संविधान बचाओ' नारा लगाया गया. ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जब महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री विकास की बात कर रहे थे तो ठीक उसी समय राहुल गांधी 'संविधान' दिखाकर देशवासियों को कुछ याद दिलाने की कोशिश कर रहे होंगे. सारा खेल नैरेटिव का है. जिसकी बात जनता समझ जाती है और उस पार्टी की बल्ले-बल्ले होती है फिर सरकार बनने से कोई नहीं रोकता.
5. हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने खूब प्रचार प्रसार किया है. कहीं न कहीं 'अग्निवीर' के विरोध और ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल करने की बात ने कांग्रेस को फायदा पहुंचाया. ऐसे में अगर बीजेपी 'हरियाणा' हार गई तो ये कहा जा सकता है कि उसने पुरानी गलतियों से सबक नहीं लिया. बीजेपी की अग्निवीर' योजना ने भी वोटरों को कहीं न कहीं नाराज किया है.