BJP का 'वक्फ सुधार जनजागरण अभियान', विपक्ष के नैरेटिव को देने जा रही टक्कर
वक्फ कानून बनने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना रहा है. इस साल बिहार, फिर बंगाल और केरल में चुनाव हैं, जिसे देखते हुए बीजेपी ने इसे सियासी फायदे में बदलने की रणनीति बना ली है. पार्टी 'वक्फ सुधार जनजागरण अभियान' के जरिए कानून की सच्चाई लोगों तक पहुंचाकर विपक्ष के नैरेटिव को तोड़ने की कोशिश में जुट गई है.

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को हाल ही में संसद में पेश किया, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाना है.इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जैसे वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की सदस्यता, वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए जिला कलेक्टर की नियुक्ति, और वक्फ संपत्तियों के विवादों में उच्च न्यायालयों में अपील का अधिकार प्रदान करना.
विधेयक के कुछ प्रावधानों पर विपक्ष और मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है.विशेष रूप से, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और सर्वेक्षण अधिकारी के रूप में जिला कलेक्टर की नियुक्ति को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई हैं.आलोचकों का मानना है कि ये प्रावधान वक्फ संस्थानों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप कर सकते हैं.
बीजेपी का जनजागरण अभियान
इन विवादों के बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 20 अप्रैल से 15 दिनों के लिए 'वक्फ सुधार जनजागरण अभियान' शुरू करने की घोषणा की है.इस अभियान का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से पसमांदा मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं, को नए वक्फ कानून के लाभ और उद्देश्य के बारे में जागरूक करना है.पार्टी का मानना है कि इस विधेयक से वंचित और जरूरतमंद वर्गों को लाभ मिलेगा और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी.
चुनावों पर संभावित प्रभाव
यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों, विशेष रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल में, बीजेपी के लिए रणनीतिक महत्व रखता है.इन राज्यों में मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं की संख्या महत्वपूर्ण है, और पार्टी इस अभियान के माध्यम से इन समुदायों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है.