RSS मुख्यालय की रेकी करने वाले को जमानत नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज किया रईस अहमद की जमानत याचिका
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने RSS मुख्यालय और डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर की टोह लेने के आरोपी रईस अहमद शेख को जमानत देने से इनकार कर दिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, शेख प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था और उसने पाकिस्तान में बैठे आकाओं को संवेदनशील जानकारियां दी थी.

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने आरएसएस मुख्यालय की टोह लेने और हमले की साजिश रचने के आरोपी रईस अहमद शेख को जमानत देने से इनकार कर दिया है. जम्मू-कश्मीर निवासी शेख पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े होने का भी आरोप है.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय और संस्थापक डॉ. के. बी. हेडगेवार स्मारक की टोह लेने के आरोप में गिरफ्तार किए गए रईस अहमद शेख को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली.
बता दें कि नागपुर की अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी. सरकारी वकील के मुताबिक, शेख प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सदस्य है और उसने पाकिस्तान में बैठे आकाओं को संवेदनशील जानकारियां दी थी.
RSS मुख्यालय पर हमले की थी साजिश?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, रईस अहमद शेख ने नागपुर के महल इलाके में स्थित आरएसएस मुख्यालय की टोह लेने की योजना बनाई थी. हालांकि, सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के चलते वह गलियों में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा सका. पुलिस जांच में सामने आया कि शेख ने छह गलियों की रेकी करने की कोशिश की थी.
सरकारी वकील देवेंद्र चौहान ने कोर्ट में दलील दी कि आरोपी का नागपुर आना पूरी तरह संदेहास्पद था. उसके वहां रहने का कोई तार्किक कारण नहीं था, न कोई रिश्तेदार, न कोई व्यावसायिक उद्देश्य. उन्होंने कहा कि आरोपी की गतिविधियां संभावित आतंकवादी हमले की तैयारी का हिस्सा थीं, इसलिए इस मामले को 'गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम' (UAPA) के तहत देखा जाना चाहिए.
जमानत याचिका क्यों हुई खारिज?
रईस अहमद शेख के वकील निहालसिंह राठौड़ ने अदालत में दावा किया है कि उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो कि उसने किसी गैरकानूनी गतिविधि को अंजाम दिया. उन्होंने तर्क दिया कि केवल किसी स्थान की टोह लेना आतंकवादी गतिविधि नहीं कहा जा सकता.
हालांकि, सरकारी वकील चौहान ने इसे खारिज करते हुए कहा, "किसी भी आतंकी कृत्य को अंजाम देने से पहले की गई तैयारी (टोह लेना) भी एक आतंकवादी गतिविधि मानी जाती है." जांच एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस से मिले ठोस सबूतों के आधार पर नागपुर पुलिस ने उसके खिलाफ UAPA की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.
पुलिस जांच में क्या सामने आया?
शेख ने RSS मुख्यालय और हेडगेवार स्मृति मंदिर की रेकी की थी. वह पाकिस्तान में मौजूद आकाओं को गोपनीय जानकारी दे रहा था. सुरक्षाबलों की तैनाती देखकर वह गलियों में घुसने की हिम्मत नहीं कर सका. खुफिया एजेंसियों ने सबूत मिलने के बाद UAPA के तहत मामला दर्ज किया. बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले से साफ है कि आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों में अदालतें किसी भी तरह की राहत देने के मूड में नहीं हैं.