मानसून में बढ़ जाता है ब्रेन इंफेक्शन, डॉक्टर की राय आएगी आपके काम

Brain Infections: मानसून अपने साथ बारिश ही नहीं कई समस्याएं भी लेकर आता है. इसमें बाढ़ और जल भराव की समस्याएं तो आम है लेकिन कई बीमारियां भी इस मौसम में आ जाती है जो हमारे लिए एक खतरा बन जाती है. फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने बारिश में बढ़ रहे ब्रेन इंफेक्शन के खतरे को लेकर चिंता जताई है.

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Brain Infections: देश में मानसून की बारिश होने लगी है. इस बीच कई तरह के संक्रमण भी बढ़ने लगे हैं. फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने बरसात के दौरान तटीय और चावल बेल्ट क्षेत्रों में ब्रेन इंफेक्शन के बढ़ने के बारे में चिंता जताई है. इन क्षेत्रों में उमस, नमी और बढ़ती मच्छरों के प्रजनन दर से वायरल एन्सेफेलाइटिस समेत अन्य ब्रेन इंफेक्शन के मामलों में वृद्धि हुई है. इसमें सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्गों को खतरा होता है.

ब्रेन इंफेक्शन को एन्सेफलाइटिस भी कहा जाता है. ये बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद या परजीवियों के संक्रमण के कारण ब्रेन में सूजन के रूप में दिखने लगता है. इससे पीड़ित व्यक्ति के ब्रेन के टिश्यू को नुकसान हो सकता है. संभावित रूप से कई प्रकार के न्यूरोलॉजिकल लक्षण पैदा हो सकते हैं.

एशियाई देशों में चिंता

ब्रेन इंफेक्शन विकसित देशों में तुलनात्मक रूप से कम है लेकिन भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों में ये एक प्रमुख चिंता का विषय है. मानसून का मौसम मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल होने के कारण ब्रेन इंफेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी करता है. इसके जरिए डेंगू और जापानी एन्सेफलाइटिस जैसे कई वायरल संक्रमण अपना विस्तार करते हैं.

भारत में यहां खतरा

द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक और उड़ीसा जैसे तटीय क्षेत्रों के साथ ही असम और त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर राज्य, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे चावल बेल्ट वाले उत्तरी राज्य वायरल एन्सेफेलाइटिस के रडार में सबसे ज्यादा है.

डॉक्टर ने बताया किसे खतरा

अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में न्यूरोलॉजी और स्ट्रोक मेडिसिन के एचओडी डॉ. संजय पांडे बताते हैं कि ब्रेन इंफेक्शन कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे वायरल, बैक्टीरियल, ट्यूबरकुलर, फंगल या प्रोटोजोअल इसमें शामिल हैं. इसके सबसे आम लक्षण बुखार, सिरदर्द, उल्टी हैं. इसका सबसे अधिक खतरा बच्चों और बूढ़े लोगों में होता है. क्योंकि, इनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. समय पर इलाज नहीं लिया गया तो वायरल एन्सेफेलाइटिस पार्किंसनिज़्म, डिस्टोनिया और कंपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

क्या करना चाहिए?

  • इस मौसम में माता-पिता को अपने बच्चों में चकत्ते और चेतना की हानि जैसे लक्षणों के प्रति सतर्क रहना चाहिए
  • संक्रमणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और रोगी के परिणामों में सुधार करने के लिए प्रारंभिक जांच महत्वपूर्ण है
  • मच्छरों के प्रजनन को रोकना और मच्छरों के काटने से बचाव आवश्यक कदम उठाने चाहिए

कैसे होगा है इलाज?

डॉ. संजय पांडे ने बताया कि भारत में ब्रेन इन्फेक्शन का इलाज इंफेक्शन के प्रकार और कारण पर निर्भर करता है. बैक्टीरियल इन्फेक्शन का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है. वहीं जापानी एन्सेफलाइटिस और डेंगू जैसे वायरल संक्रमण के लिए एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है. ट्यूबरक्यूलर ब्रेन इंफेक्शन के लिए एंटी-टीबी दवाओं के लंबे कोर्स की आवश्यकता होती है. वहीं फंगल इन्फेक्शन का इलाज ऐंटिफंगल दवाओं से किया जाता है.

दौरे-रोधी दवाओं, सूजन को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और अस्पताल में भर्ती सहित सहायक देखभाल अक्सर आवश्यक होती है. एडवांस मामलों में गहन देखभाल और सर्जिकल इंटरवेंशन की आवश्यकता हो सकती है. इन उपचारों तक पहुंच अलग-अलग होती है. शहरी केंद्र आमतौर पर अधिक देखभाल प्रदान करते हैं.

ब्रेन इंफेक्शन के खिलाफ लड़ाई

डॉ. पांडे ने कहा कि भारत सरकार, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करके ब्रेन इंफेक्शन के खिलाफ लड़ाई लड़ सकती है. इसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इसमें स्वास्थ्य कर्मियों को भी शामिल किया जाना चाहिए. वहीं लोगों को इसके प्रति जागरूक कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है.


First Updated : Thursday, 18 July 2024