मनमोहन सिंह की एक लंच मीटिंग ने बदल दी थी मायावती की नीति, जानें कैसे राजनीति में आया भूचाल?
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति के एक युग का अंत है. उनकी शांत नेतृत्व शैली और आर्थिक नीतियों ने देश को नई दिशा दी. 2012 में एफडीआई पर विवाद के दौरान मायावती को लंच पर बुलाने जैसे उनके रणनीतिक कदम उनकी सूझबूझ का अद्वितीय उदाहरण हैं.
Manmohan Singh Death: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार देर रात निधन हो गया. उनके शांत और सशक्त नेतृत्व को याद करते हुए देश भर में शोक की लहर है. भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाले डॉ. मनमोहन सिंह अपने कुशल नेतृत्व और राजनीतिक सूझबूझ के लिए हमेशा याद किए जाएंगे.
साल 2012 - जब एफडीआई पर गरमाई राजनीति
आपको बता दें कि साल 2012 का दौर भारतीय राजनीति में एक अहम मोड़ था. फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त खींचतान चल रही थी. तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने संसद में एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव लाने की धमकी दी थी. ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सहयोगी दलों का समर्थन जुटाने की आवश्यकता थी.
मायावती को न्योता और राजनीति का बदलता समीकरण
वहीं आपको बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती उस समय एफडीआई के खिलाफ थीं. मनमोहन सिंह ने राजनीतिक माहौल को भांपते हुए उन्हें अपने आवास पर लंच का न्योता दिया. इस मुलाकात में उन्होंने मायावती के साथ विस्तार से चर्चा की. इस बातचीत के बाद मायावती के रुख में नरमी देखी गई. हालांकि, मायावती ने इस मुलाकात को सार्वजनिक रूप से ज्यादा महत्व नहीं दिया. उन्होंने कहा, ''राजनीति में लंच, डिनर और बैठकें सामान्य बात हैं. इन्हें संसद सत्र से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.''
मायावती की श्रद्धांजलि
इसके अलावा आपको बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर मायावती ने गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा, ''देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन अति-दुखद है. भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार में उनका योगदान अविस्मरणीय है. वे नेक इंसान थे. उनके परिवार और चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं.''
डॉ. मनमोहन सिंह - एक प्रेरणादायक नेता
बहरहाल, डॉ. मनमोहन सिंह को न केवल एक सक्षम नेता बल्कि एक दूरदर्शी अर्थशास्त्री के रूप में याद किया जाएगा. उनकी शांति और सादगी ने राजनीति को एक नई दिशा दी.