ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण में टूटे हुए शिव लिंग और देवताओं से जुड़ी कई वस्तुएं बरामद की गईं: ASI रिपोर्ट
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट आज सामने आ गई है. रिपोर्ट में कहा है कि देवताओं की मूर्तियों और भगवान हनुमान की खंडित आकृतियों समेत कई टेराकोटा वस्तुएं प्राप्त हुई हैं.
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट आज सामने आ गई है. रिपोर्ट में कहा है कि देवताओं की मूर्तियों और भगवान हनुमान की खंडित आकृतियों समेत कई टेराकोटा वस्तुएं प्राप्त हुई हैं. भगवान गणेश परिसर के पश्चिमी दीवार क्षेत्र में मलबे से पाए गए थे. एएसआई ने यह भी बताया कि उसके वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान दो कांच की वस्तुएं मिली है. एक पेंडेंट और एक टूटा हुआ शिव लिंग भी मिला था. इस पर हिंदू पक्ष ने अपनी जीत बताते हुए कहा है कि सर्वे रिपोर्ट से साफ हो गया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह भी कहा कि परिसर से विभिन्न कालखंडों के सिक्के भी प्राप्त हुए हैं. ये सिक्के अलग-अलग समय के हैं. तीन सिक्कों पर फारसी में किंवदंतियाँ हैं और शाह आलम द्वारा जारी किए गए थे. 64 सिक्कों के भंडार सहित कई ब्रिटिश-भारत के सिक्के पाए गए. इनमें ईस्ट इंडिया कंपनी, रानी विक्टोरिया, एडवर्ड के सिक्के शामिल हैं VII और जॉर्ज V, और कुछ को जंग के कारण पहचानना मुश्किल था. रिपोर्ट में कहा गया है, ''माधव राव सिंधिया का एक तांबे का सिक्का भी मिला.''
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने के बाद इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि पहले रिपोर्ट का अध्ययन करने की जरूरत है और उसके बाद ही कोई इस पर कुछ भी टिप्पणी कर सकता है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी 839 पन्नों की रिपोर्ट संबंधित पक्षों को दे दी है और मुस्लिम पक्ष को पहले पूरी रिपोर्ट का अध्ययन कर अपनी राय देनी होगी. हमें पूरी उम्मीद है कि जो भी फैसला लिया जाएगा वह वास्तविकता के आधार पर लिया जाएगा.'' मौलाना खालिद रशीद ने कहा, ''मामला अदालत में चल रहा है. पहले एएसआई रिपोर्ट का अध्ययन किया जाएगा और उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.''
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई की रिपोर्ट से पता चला है कि 17 वीं शताब्दी में पहले से मौजूद संरचना को नष्ट कर दिया गया था. इसके बाद कुछ हिस्से को संशोधित कर इसका दोबरा उपयोग किया गया था. वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि "वहां" मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था.