जस्टिस वर्मा के घर मिले जलते नोट, साजिश या सच? पूरी कहानी जानिए!

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के बाहर मिले जले हुए 500 रुपए के नोटों के अवशेष ने सनसनी मचा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है और तीन सदस्यीय समिति गठित की है. जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को साजिश करार दिया लेकिन अब पूरे देश में सवाल उठ रहे हैं. क्या सच में कुछ गड़बड़ी हुई या यह सब एक साजिश है? जानें पूरी कहानी और क्या होगा जस्टिस वर्मा का भविष्य!

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Edited By: Aprajita

New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश कांड की जांच में नया मोड़ आ गया है. रविवार को उनके आवास के बाहर से जले हुए नोटों के अवशेष मिलने से पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले में एक तीन सदस्यीय समिति गठित की है जो जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करेगी.

जले नोटों की तस्वीरें और मलबे के अवशेष हुए सार्वजनिक

रविवार को जब NDMC की टीम तुगलक रोड पर सफाई करने पहुंची तो उन्होंने जस्टिस वर्मा के आवास के बाहर जले हुए नोटों के अवशेष पाए. इन नोटों में 500 रुपए के कुछ जले हुए नोट साफ तौर पर देखे गए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए जले हुए नोटों के फोटो और वीडियो भी जारी किए थे जो अब चर्चा का विषय बन चुके हैं. मामले की जांच में यह साबित हुआ कि जस्टिस वर्मा के घर के अंदर एक स्टोर रूम में बोरियों में जले हुए नोटों के बंडल मिले थे. हालांकि जस्टिस वर्मा ने आरोपों को साजिश बताया है और इसे अपनी छवि खराब करने की कोशिश करार दिया है.

आग की घटना और उसके बाद की जांच

14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास में आग लग गई थी जिसके बाद फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची थी. आग उस स्टोर रूम में लगी थी जहां अधिकारियों को नोटों के बंडल मिले थे. लेकिन इस घटना के तुरंत बाद फायर ब्रिगेड के प्रमुख अतुल गर्ग ने बयान दिया था कि आग बुझाने के दौरान कोई नकदी नहीं मिली थी. इस बयान के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की तो उसमें जले हुए नोटों के कई बंडल दिखाई दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का बचाव

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के घर से जुड़ी पूरी जानकारी और जले हुए नोटों की तस्वीरें जारी की हैं. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है और इसे साजिश बताया है. जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी अपने घर में नकदी नहीं रखी और इस घटना का उन्हें पूरी तरह से खारिज किया है. वहीं दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इस मामले को लेकर अपनी रिपोर्ट में कहा कि गहन जांच की जरूरत है क्योंकि जले हुए बंडल और अधजले नोटों का मिलना गंभीर सवाल उठाता है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर का प्रस्ताव और विवाद

इस मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव भी रखा है. इस प्रस्ताव पर विवाद भी शुरू हो गया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इस तरह के मामले को निपटाने का तरीका आम जनता में विश्वास को खत्म कर सकता है. उन्होंने कहा कि यदि जनता का विश्वास टूट गया तो लोकतंत्र पर इसका गहरा असर पड़ेगा.

यह मामला न केवल न्यायिक व्यवस्था की साख पर सवाल उठा रहा है बल्कि यह पूरे देश में चर्चा का विषय भी बन गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एक जांच समिति गठित की है, लेकिन इस पूरी घटना ने यह साबित कर दिया है कि न्यायिक जांच और पारदर्शिता की प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है. अब देखना यह होगा कि इस मामले की जांच कैसे आगे बढ़ती है और क्या जस्टिस वर्मा के खिलाफ कोई ठोस सबूत सामने आता है.

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23 March 2025, 04:20 PM IST

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