CA Exams: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा आयोजित चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) परीक्षाओं को पोस्टपोन करने की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ये कहकर परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए कहा थी उस दिन कई राज्यों में लोकसभा चुनाव है. इसपर भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि परीक्षा कार्यक्रम में कोई भी बदलाव पहले से की गई बड़ी तैयारियों को बाधित कर सकता है और संभावित रूप से अन्य छात्रों को नुकसान पहुंचा सकता है.
बता दें, कि सीए की परीक्षाएं 2 मई से 17 मई तक आयोजित होने वाली हैं, 7 मई और 13 मई को चुनावी गतिविधियों के कारण 8 मई और 14 मई को परीक्षा की तारीखों को लेकर विशेष चिंताएं जताई गई हैं.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) परीक्षाओं का समय निर्धारण नीतिगत फैसले का मामला है. मतदान के अधिकार के महत्व पर विचार करने के बावजूद, स्थापित कार्यक्रम चुनाव की तारीखों से बचता है, और अब कोई भी बदलाव नामांकित 4 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है,
वहीं कुछ सीए स्टूडेंट्स का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ वकील माधवी दीवान ने तर्क दिया कि कालाहांडी जैसे दूरदराज के इलाकों के छात्रों को चुनाव के तुरंत बाद निर्धारित परीक्षाओं में शामिल होने में दिक्कतों का का सामना करना पड़ सकता है. दीवान ने पूरी तरह से पोस्टपोन का प्रस्ताव नहीं रखा, बल्कि कार्यक्रम से प्रभावित छात्रों के लिए "ऑप्ट-आउट" ऑप्शन प्रदान करने या बड़े स्तर पर परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया.
दीवान ने आगे कहा कि उन क्षेत्रों के छात्रों को नुकसान होता है जो लंबी यात्रा करते हैं , खासकर जहां सार्वजनिक परिवहन चुनाव के दौरान सुरक्षा उपायों से प्रभावित होता है. एक ऑप्ट-आउट विकल्प या अधिक केंद्र इसे कम कर सकते हैं.
हालांकि, ICAI की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रामजी श्रीनिवासन ने परीक्षा रूटीन में किसी भी देरी या बदलाव का विरोध किया. उन्होंने कहा, "जहां आवश्यक हो, बदलाव किया गया है, मुद्दों को उठाने वाले लगभग 3,700 उम्मीदवारों के लिए केंद्रों में बदलाव के साथ, यह सुनिश्चित किया गया है कि चुनाव की तारीखों के साथ कोई टकराव न हो. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आईसीएआई की दलीलों का पक्ष लिया और कहा कि मौजूदा व्यवस्था में न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. First Updated : Monday, 29 April 2024