CAA, ट्रिपल तालाक, UCC और अब वक्फ बिल... मोदी सरकार के वो बड़े फैसले जिनका मुस्लिम समाज ने जमकर किया विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद कई अहम फैसले लिए, जिनका सीधा प्रभाव मुस्लिम समुदाय पर पड़ा. इनमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), तीन तलाक उन्मूलन, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), और वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद कई ऐसे अहम फैसले लिए जो सीधे तौर पर मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करते हैं. इनमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), तीन तलाक उन्मूलन, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और अब वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं। इन सभी मामलों में मुस्लिम संगठनों ने तीव्र विरोध दर्ज कराया, लेकिन सरकार अपने रुख पर अडिग रही. तो चलिए जानते हैं कब-कब मोदी सरकार को मुस्लिम समाज से विरोध का सामना करना पड़ा.
तीन तलाक पर रोक
तीन तलाक को अवैध घोषित करने वाला विधेयक 2017 में पेश किया गया था, जिसे 2019 में कानून का रूप दे दिया गया। इस कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया। इस फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और कई अन्य मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया, इसे मुस्लिम परिवारों को तोड़ने वाला बताया। लेकिन सरकार ने इसे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय की दिशा में उठाया गया कदम कहा.
नागरिकता संशोधन कानून
2019 में पारित CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया। इस कानून में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया, जिससे देशभर में मुस्लिम संगठनों और विपक्ष ने तीव्र विरोध किया। शाहीन बाग जैसे ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शनों के बावजूद सरकार ने इसे लागू करने का फैसला लिया.
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)
UCC के जरिए सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार जैसे निजी कानून समान करने की बात की गई है। बीजेपी शासित उत्तराखंड में यह कानून पहले ही लागू हो चुका है और अन्य राज्यों में इसे लागू करने की तैयारियां चल रही हैं। AIMPLB समेत कई मुस्लिम संगठनों ने इसे शरीयत कानून में दखल बताया, जबकि सरकार का कहना है कि इससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा.
वक्फ विधेयक 2025
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने यह विधेयक पेश किया, जिसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान रखा गया है। मुस्लिम संगठनों ने इसे वक्फ की स्वायत्तता पर हमला करार दिया, जबकि सरकार का कहना है कि यह पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए जरूरी है.
मोदी सरकार के फैसले पर मुस्लिम समाज
मोदी सरकार के ये फैसले मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग द्वारा धार्मिक पहचान और स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप के रूप में देखे गए हैं। वहीं, सरकार का दावा है कि ये निर्णय प्रगतिशील और न्यायसंगत समाज के निर्माण की दिशा में उठाए गए हैं। आने वाले समय में UCC और वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर और भी गहरी बहस देखने को मिल सकती है.
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