Live in Relationship In Islam: हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि एक मुस्लिम शख्स लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता. खास तौर पर तब, जब दावा करने वाले शख्स की पत्नी जीवित हो. अदालत ने कहा है कि इस्लाम इस तरह के रिश्तों की इजाज़त नहीं देता है. अदालत ने कहा है कि अगर पुरुष और महिला दोनों गैर-शादीशुदा हों तो स्थिति अलग हो सकती है. अदालत ने कहा है कि ऐसी हालत में दोनों अपनी जिंदगी खुद के हिसाब से जी सकते हैं.
दरअसल बहराइच जिले की स्नेहा और शादाब ने अदालत में अर्जी लगाई कि वे दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रह हैं. वहीं दूसरी तरफ शादाब के खिलाफ स्नेहा के घरवालों ने भी शिकायत दर्ज कराई है कि उनकी बेटी को अगवा करके शादाब ने शादी की है. ऐसे में शादाब और स्नेहा ने सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया. लेकिन जब मामला अदालत पहुंचा तो पता चला कि शादाब खान पहले ही शादीशुदा है. शादाब ने साल 2020 में फरीदा खातून नाम की महिला से शादी की हुई.
ऐसे में अदालत ने सुरक्षा की अर्जी को ठुकरा दिया और कहा कि एक मुस्लिम शख्स ये दावा नहीं कर सकता कि वो रिलेशनशिप में रहा है. खास तौर पर ऐसी स्थिति में जब उसकी पत्नी जिंदा हो. अदालत ने अपने फैसले में लिव इन रिलेशनशिप में शादाब के साथ रही स्नेहा को भी उसके घर वालों के हवाले करने का आदेश दिया है. अदालत ने सख्त आदेश जारी करते हुए कहा कि इस्लाम में यकीन रखने वाला कोई भी व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप के हक का दावा नहीं कर सकता.
क्या कहता है इस्लाम
ऐसे में जानते हैं कि आखिर इस्लाम लिव इन रिलेशनशिप को लेकर क्या कहता है. वैसे तो साफ ज़ाहिर है कि इस्लाम में लिव-इन-रिलेशनशिप की कोई जगह नहीं है. इस्लाम का कहना है कि अगर आपको किसी भी महिला के साथ रहना है तो उसके लिए सबसे पहली चीज निकाह है. अगर आप बगैर निकाह किए किसी महिला के साथ रह रहे हैं और आपके बीच जिस्मानी रिश्ते समेत सबकुछ बन रहे हैं तो इस्लाम इसको पूरी तरह हराम करार देता है. इस संबंध में हमने नेशनल ह्यूमन राइट्स सोशल जस्टिस फ्रंट (NHRSJF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अनवर अमृतसरी कासमी नदवी ने से बात की तो उन्होंने भी यही कहा कि इस्लाम में लिव इन रिलेशनशिप की कोई जगह नहीं है. इस्लाम में निकाह की पाबंदी लगा हुई है.
First Updated : Thursday, 09 May 2024