Parliament Special Session: क्या विशेष सत्र के दौरान एजेंडे को बदल सकती है मोदी सरकार? क्यों बढ़ी विपक्ष की बेचैनी

Parliament Special Session: कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के पास अभी वह ट्रंप कार्ड हाथ नहीं लगा है जो 2024 लोकसभा चुनाव में जीत का भरोसा बन सके. ऐसा माना जा रहा है कि सरकार अंतिम क्षणों में कोई बड़ा सियासी दांव खेल सकती है.

Manoj Aarya
Edited By: Manoj Aarya

Parliament Special Session: 31 अगस्त को जैसे ही संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की, तभी से इस विशेष सत्र के मुद्दों को लेकर कई तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. ऐसा कहा जा रहा था की सरकार एक राष्ट्र एक चुनाव, महिला आरक्षण बिल या देश का नाम केवल भारत रखने जैसे प्रस्ताव पास कराने की कोशिश कर सकती है. लेकिन अब सरकार ने यह साफ कर दिया है कि 18 सितंबर से 22 सितंबर तक आयोजित होने वाले इस विशेष सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त विधेयक, प्रेस पंजीकरण विधेयक, अधिवक्ता विधेयक और डाकघर विधेयक पारित कराने की कोशिश की जाएगी.

विपक्ष में क्यों है घबराहट?

कांग्रेस सहित विपक्ष के कई नेताओं की मांग के बाद सदन के विशेष सत्र से पहले सरकार द्वारा जारी किए गए एजेंडे से विपक्ष अभी भी संतुष्ट नहीं है. उसे लग रहा है कि सरकार अपना असली एजेंडा छिपा रही है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि विशेष सत्र के दौरान सरकार अपना असली एजेंडा सामने ला सकती है. यह एजेंडा क्या हो सकता है और विपक्ष को इससे इतना घबराहट क्यों हो रही है?

बड़ा दांव खेलने की कोशिश में सरकार

आपको बता दें कि कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि विकास के तमाम बड़े कामों को करने के बाद भी सरकार को अभी वह ट्रंप कार्ड नहीं हाथ लगा है जो 2024 लोकसभा चुनाव में उसकी जीत का भरोसा बन सके. यही कारण है कि यह माना जा रहा है कि सरकार अंतिम क्षणों में कोई बड़ा सियासी दांव खेलकर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर सकती है. यह ध्रुवीकरण समान नागरिक संहिता या एक देश एक चुनाव जैसा कोई भावनात्मक मुद्दा हो सकता है.   

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मुद्दा 

केंद्र सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर जो नई कानून व्यवस्था प्रस्तावित की है, वह संसद के विशेष सत्र में विवाद का मुद्दा बन सकता है. इस प्रस्तावित कानून अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को समाप्त कर दिया गया है. जिसको लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह पहले ही यह मुद्दा उठाने की शुरुआत कर चुके हैं.

सरकार के एजेंडे से क्यों बढ़ी विपक्षी की बेचैनी?

नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के नेता सत्य प्रकाश मिश्रा ने हाल ही में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हमें इस बात की पूरी संभावना दिखाई पड़ रही है कि सरकार संसद सत्र में अपना छिपा हुआ एजेंडा सामने ला सकती है. इसका बड़ा कारण यही है कि सरकार ने आज तक किसी भी मुद्दे पर विपक्ष के विचार और सुझाव को महत्त्व नहीं दिया है. वह अचानक बड़े बदलाव वाले निर्णय लागू करती है, जिससे उहापोह की स्थिति बनती है.

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15 September 2023, 08:47 PM IST

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