Chandrayaan-3 : लैंडिंग की जगह क्या ऐन वक्त पर बदली जा सकती है, कितने घंटे पहले लिया जायेगा उतरने का निर्णय, जानें पूरा सच
Chandrayaan-3 : भारत में काफी समय पहले चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था जो कि सही तरीके से सफल नहीं हो पाया, लेकिन चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में काफी बदलाव किए गए हैं.
हाइलाइट
- चंद्रयान-2 से सबक लेकर अब चंद्रयान-3 में काफी बदलाव किए गए हैं.
Chandrayaan-3 : चंद्रयान-2 के उतरने के लिए जितना क्षेत्र निर्धारित किया गया था, अब उसमें काफी बदलाव देखा गया है. चंद्रयान-3 को लैंडिंग करने के लिए लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तय किया गया है. यदि एक जगह किसी भी तरह सही नहीं लगी तो दूसरी जगह की भी व्यवस्था की गई है. चंद्रयान-3 भारत की शान आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर जमीन पर उतरने का इतिहास रचने वाला है इससे पहले भारत में दो चंद्रयान भेजे गए थे जो कि किसी तरह से सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन इस बार चंद्रयान-3 ने अपना अलग ही इतिहास रचा है.
लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र किया गया निर्धारित
चंद्रयान-2 से सबक लेकर अब चंद्रयान-3 में काफी बदलाव किए गए हैं. चंद्रयान-2 को उतरने के लिए जितना क्षेत्र निधारित किया गया था, अब उसमें काफी बढ़ोतरी देखी गई है. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र निर्धारित किया गया है यदि एक जगह पर चंद्रयान-3 सही नहीं लगा तो दूसरी जगह पर उसकी लैंडिंग की जायेगी.
पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 चंद्रमा की ऐसी जगह उतर रहा है जो सबसे ज्यादा चैलेंजिग है. यहां पर खाइयां, पत्थर और उबड़ खाबड़ जगह हैं. आपको बता दें कि दूसरों देशों के अंतरिक्ष यान इक्वेडर यानी चंद्रमा के बीचोंबीच विषुवत रेखा पर उतरे हैं. लेकिन हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरने जा रहा है जिसे पृथ्वी से नहीं देखा सकता. जहां पर हमेशा अंधेरा बना रहता है. यह जगह चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर है. जहां पर इसरो के बताए अनुसार तापमान शून्य से भी 220 डिग्री नीचे रहता है.
इसरो के पूर्व निदेशक डॉ के कहने के मुताबिक पिछली बार लैडिंग प्रकिया के बाद हमने डेटा देखा था, उसके बाद सुधारात्मक कई उपाय किए गए थे. जहां पर भी मार्जिन कम है वहां पर हमने मार्जिग को बढ़ाया है. चंद्रयान-2 में हमने जो सबक सिखा था उससे कहीं आगे के बारे में सोचकर चंद्रयान-3 को मजबूती के साथ आगे भेजा है.