क्या पेजर की तरह आपके मोबाइल फोन को भी BOMB में बदल सकते हैं हैकर्स? जानें यहां

Pager Blast: आपने हाल ही में हुई घटना के बारे में तो सुना ही होगा। इसमें एक आतंकवादी ग्रुप हिजबुल्लाह के सैंकड़ों पेजर ब्लास्ट हो गए। इसके बाद एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या ऐसा स्मार्टफोन के साथ भी हो सकता है। बता दें कि ऐसा हो सकता है और यह कैसे संभव है, चलिए जानते हैं।

JBT Desk
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Pager Blast: लेबनान में एक जानलेवा घटना सामने आई है जिसमें एक आतंकवादी ग्रुप हिजबुल्लाह द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे है सैकड़ों पेजर पूरे देश में एक साथ ब्लास्ट हो गए। इस घटना में कम से कम नौ लोगों की मौत हुई है और 3000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इसका एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पेजर एक व्यक्ति की कमर पर लगा है और वो अचानक फट जाता है। धमाका होने से वह जमीन पर गिर जाता है और आसपास खड़े लोग डरकर भाग जाते हैं। इस घटना ने विस्फोटों के कारण के बारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। 

इस घटना के बाद एक सवाल और आता है कि जिस तरह से पेजर में धमाके हुए हैं, क्या फोन में भी ऐसा हो सकता है। स्मार्टफोन की लिथियम आयन बैटरी पर निर्भरता के चलते इन डिवाइसेज के जरिए हमलों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, यह इतना आसान भी नहीं है। 

क्या फोन में लगाया जा सकता है विस्फोटक:

देखा जाए तो हिज्बुल्लाह के पेजर ब्लास्ट मामले से ये संकेत मिला है कि ऐसी डिवाइसेज में विस्टफोटक छिपाए जा सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल ने एक पेजर बैच में विस्फोटक छिपाए थे। अगर स्मार्टफोन पर भी ऐसा किया जाए, तो इसके लिए सप्लाई चेन में कुछ हस्तक्षेप करना होगा और इनमें धमाका करने के लिए एक टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी जिसे दूर से ट्रिगर किया जा सके। 

स्मार्टफोन में इस तरह का विस्फोटक छिपाना मुश्किल नहीं है क्क्योंकि इनके नेटवर्क कनेक्शन रिमोट कंट्रोल के लिए कई मौके देते हैं। लेकिन फोन के ब्रांड और मॉडल समेत सॉफ्टवेयर के चलते इस तरह के अटैक को अंजान देना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। आधुनिक स्मार्टफोन में कई ऐसे सिक्योरिटी प्रोटोकॉल होते हैं जो इस तरह के अटैक्स को रोकने में मदद करते हैं। 

क्या है पेजर:

पेजर रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं। इसके जरिए छोटे मैसेज प्राप्त किए जा सकते हैं। हालांकि, यह काफी हद तक अब पुराना हो चुका है लेकिन उनके हार्डवेयर का इस्तेमाल अभी भी स्मार्टफोन के ऑप्शन के तौर पर किया जाता है क्योंकि इनमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कम किया जाता है।

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19 September 2024, 12:46 PM IST

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