कनाडाई हिंदुओं का पोलीव्रे पर गुस्सा, दिवाली समारोह से हटने का निर्णय बन गया विवाद
कनाडाई हिंदू समुदाय ने विपक्षी नेता पियरे पोलीव्रे की कड़ी आलोचना की है, जिन्होंने दिवाली समारोह से हटने का निर्णय लिया. इसे भेदभाव का संकेत मानते हुए, समुदाय ने कहा कि ऐसा करना उन्हें ‘बाहरी’ जैसा महसूस कराता है. इस विवाद के पीछे कनाडा और भारत के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव हैं. ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) ने पोलीव्रे से माफी मांगने की मांग की है और इसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है. जानें इस मुद्दे के पीछे की कहानी और समुदाय की प्रतिक्रिया!
Canadian Hindus Angry: कनाडाई हिंदू समुदाय ने विपक्षी नेता पियरे पोलीव्रे की कड़ी आलोचना की है, जिन्होंने पिछले 24 वर्षों से आयोजित हो रहे दिवाली समारोह में भाग लेने से मना कर दिया है. इस कदम को लेकर समुदाय के बीच गहरी नाराजगी और निराशा का माहौल है, क्योंकि इसे कनाडा में भारतीयों के साथ भेदभाव के रूप में देखा जा रहा है.
पियरे पोलीव्रे और उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के अन्य नेताओं ने दिवाली समारोह से खुद को अलग कर लिया है, जिसके चलते ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) ने उन्हें एक पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. ओएफआईसी के अध्यक्ष शिव भास्कर ने कहा कि यह कदम दर्शाता है कि भारतीय समुदाय को कनाडा में 'बाहरी' जैसा व्यवहार किया जा रहा है.
कनाडा-भारत के बीच कूटनीतिक तनाव
पियरे पोलीव्रे ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ रहा है. हाल ही में कनाडा ने आरोप लगाया था कि भारतीय राजनयिक खालिस्तानी नेताओं को निशाना बनाने के लिए आपराधिक गिरोहों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध बेहद खराब हो गए हैं.
भेदभाव का संकेत
ओएफआईसी ने अपने पत्र में कहा, 'राजनीतिक कारणों से इस समारोह से हटने का निर्णय हमें विश्वासघात की भावना देता है. यह दिखाता है कि हमें एक ऐसे देश में 'बाहरी' माना जा रहा है, जो अपनी बहुसंस्कृतिवाद पर गर्व करता है.'
नस्लवाद और भेदभाव की समस्या
हिंदू-कनाडाई समुदाय ने पोलीव्रे के कदम को एक गंभीर समस्या के रूप में देखा है. भास्कर ने लिखा, 'यह सिर्फ एक कार्यक्रम का रद्द होना नहीं है, बल्कि यह कनाडा में नस्लवाद और भेदभाव के बढ़ते प्रभाव का संकेत है.'
दिवाली का महत्व और राजनीतिक परिणाम
दिवाली एकता और भाईचारे का त्योहार है, लेकिन पोलीव्रे और उनकी पार्टी के इस निर्णय ने इसे विभाजन के क्षण में बदल दिया है. समुदाय ने यह भी कहा कि वे आगामी चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखेंगे कि कौन उनके साथ है और कौन नहीं.
सोशल मीडिया पर विरोध
सोशल मीडिया पर भी पियरे पोलीव्रे के इस निर्णय की कड़ी आलोचना की जा रही है. कई उपयोगकर्ताओं ने इसे ‘निराशाजनक’ बताया और कहा कि इससे पोलीव्रे को राजनीतिक नुकसान होगा. कनाडाई पत्रकारों ने भी इसे ‘अपमानजनक’ करार दिया है.
समाज में विभाजन का खतरा
कनाडाई हिंदू समुदाय ने पियरे पोलीव्रे से ‘असंवेदनशील और भेदभावपूर्ण कृत्य’ के लिए माफी मांगने की मांग की है. ओएफआईसी ने कहा कि भारतीय-कनाडाई समुदाय ने कनाडा के समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इस प्रकार के कदम उनकी पहचान और संस्कृति को कमजोर करते हैं.
कुल मिलाकर, यह घटना दर्शाती है कि कनाडा में भारतीय समुदाय किस तरह से भेदभाव और असमानता का सामना कर रहा है. ऐसे समय में, जब देश को एकजुटता की आवश्यकता है, इस प्रकार के निर्णय से केवल और भी विभाजन की संभावना बढ़ती है.