Caste Census In Telangana: लोकसभा चुनाव के पहले से ही देश में जाति आधारित जनगणना एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. सरकार के सहयोगियों समेत कई गैर राजनैतिक संगठन लगातार इसकी मांग करते रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी के भीतर से भी कई नेताओं ने इस आवाज का समय-समय पर बुलंद किया है. इस बीच तेलंगाना ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. यानी अब यहां जाति आधारित जनगणना या सर्वे कराया जाएगा. इससे पहले भी देश के दो राज्यों ने ऐसा किया है. यानी तेलंगाना ऐसा करने वाला तीसरा राज्य होगा.
तेलंगाना सरकार ने राज्य में सभी समुदायों के बीच लक्षित और न्यायसंगत संसाधन वितरण के लिए ये कदम उठाया है. इसके लिए व्यापक घरेलू जाति सर्वेक्षण शुरू किया गया है. इसके साथ तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और बिहार के बाद ऐसा जाति आधारित सर्वेक्षण कराने वाला तीसरा राज्य बन जाएगा.
शुक्रवार को राज्य की मुख्य सचिव शांति कुमारी द्वारा इस सर्वेक्षण के आदेश जारी किए गए. इसमें कहा गया कि सर्वेक्षण घर-घर जाकर किया जाएगा. यह जाति सर्वेक्षण पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा किए गए वादों में से एक था. मुख्य सचिव ने आदेश में कहा कि सर्वेक्षण 60 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए. योजना विभाग को इस सर्वेक्षण का नोडल विभाग नियुक्त किया गया है.
आदेश में कहा गया कि यह सर्वेक्षण ओबीसी, एससी, एसटी और अन्य कमजोर वर्गों के सामाजिक, आर्थिक, रोजगार, शैक्षिक और राजनीतिक अवसरों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए किया जा रहा है. तेलंगाना मंत्रिमंडल ने 4 फरवरी को इस सर्वेक्षण को कराने का निर्णय लिया और 16 फरवरी को राज्य विधानसभा में इसका प्रस्ताव पारित किया गया था. उस समय पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पोनम प्रभाकर ने कमजोर को न्याय देने की बात कही थी.
सरकार ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस शमीम अख्तर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है, जो शिक्षा और रोजगार में आरक्षण लाभ के लिए अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण का अध्ययन करेगा. आयोग जातियों के उप-समूहों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की पहचान कर, आरक्षण लागू करने की दिशा में सुझाव देगा.
बिहार में पिछले साल हुए जाति सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की 63.13% आबादी ओबीसी, 19.65% एससी और 1.68% एसटी है. "सवर्ण" जातियों की जनसंख्या 15.52% पाई गई. इसके बाद बिहार सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को 75% तक बढ़ा दिया. आंध्र प्रदेश ने भी 19 जनवरी को जाति आधारित सर्वेक्षण शुरू किया था.