Patanjali Case: सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक मामले की सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी की है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने कहा कि सेलिब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी भ्रामक विज्ञापनों के लिए उतना ही जिम्मेदार हैं, अगर वे किसी भ्रामक उत्पाद या सेवा का समर्थन करते हैं. विज्ञापन एजेंसिजें झूठे और भ्रामक विज्ञापन दिखाने के लिए उतना ही जिम्मेदार हैं.
IMA अध्यक्ष डॉक्टर आरवी अशोकन के विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई तक जबाव मांगा है. आपको बता दें, दरअसल आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कि जिसमें कहा कि डॉ अशोकन के जानबूझकर दिए गया बयान तात्कालिक कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप हैं. ये बयान जनता कि नजर में माननीय न्यायालय की गरिमा और कानून के खिलाफ है.
अशोकन के खिलाफ बालकृष्ण ने नून सम्मत कार्रवाई की मांग की है. जिसमें IMA के अध्यक्ष अशोकन ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि उनके उस बयान ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है.ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है.
पतंजलि उत्पादों के लिए जो भ्रामक विज्ञापन पोस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रामक विज्ञापन अभी भी वेबसाइटों पर दिख रहे हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि उन विज्ञापन को हटाने के लिए क्या किया जा रहा है. जिन प्रोडक्ट को हटाने के लिए कहा था वो अभी भी बेवसाइट पर और दूसरे चैनलों पर दिख रहे हैं, उन विज्ञापनों के हटाने के लिए क्या कर रहे हैं?. वहीं रामदेव के वकील ने कहा कि इस चीज को लेकर हम भी चिंतित हैं और इसके लिए पूरी तरह सचेत हैं. अगली तारीख पर हम पूरा प्लान लेकर आएंगे. First Updated : Wednesday, 08 May 2024