Chandrababu Naidu On Caste Census: देश के विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन जातिगत जनगणना की मांग तेजी से उठा रहे हैं. हालांकि, सरकार में बैठी NDA के खुले तौर पर इसके समर्थन में नहीं रही हैं. अब तीसरे टर्म की सरकार बनने के बाद हालात बदल गए हैं. कांग्रेस की ये मांग NDA में घर कर गई है. BJP के सहयोगी इस पर आवाज उठाने लगे हैं. अपने राज्य में कराने के बाद नीतीश कुमार इसे देश में लागू करने की मांग कर रहे हैं. वहीं चिराग पासवान समेत UP के नेताओं ने ये मांग समय समय पर उठाई है. अब इस लिस्ट में भारतीय जनता पार्टी के एक और सहयोगी चंद्रबाबू नायडू का नाम जुड़ गया है.
भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस ने भी जातिगत जनगणना के पक्ष में अपने विचार रखे हैं. उनका कहना है कि जातिगत जनगणना कराई जा सकती है, लेकिन इसका राजनीतिक उपयोग नहीं होना चाहिए. आरएसएस के अनुसार, इसका राजनीतिक लाभ लेने से समाज में विभाजन पैदा हो सकता है.
नीतीश कुमार ने बिहार में जातिगत जनगणना करवाई है. इसके बाद से वह पूरे देश में इसे लागू करने की वकालत कर रहे हैं. चिराग पासवान भी इस मांग को दोहराते रहे हैं. यूपी से अनुप्रिया पटेल, संजय निषाद और ओपी राजभर जैसे नेताओं ने भी समय-समय पर जातिगत जनगणना का समर्थन किया है. इस बीच, टीडीपी (तेलुगू देशम पार्टी) ने भी इस मांग को दोबारा उठाया है. ऐसे में कहा जा रहा है कि क्या BJP अब NDA के भीतर घिरने लगी है.
तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने एक इंटरव्यू में जातिगत जनगणना को आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि कास्ट सेंसस जनता की भावना है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. जातिगत जनगणना के बाद आर्थिक विश्लेषण और स्किल सेंसस किया जाना चाहिए. जिससे समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता को दूर किया जा सके. नायडू ने जोर देकर कहा कि गरीबी देश का सबसे बड़ा मुद्दा है और समाज में आर्थिक स्थिति ही सम्मान का पैमाना बन गई है.
आरएसएस ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद जातिगत जनगणना को लेकर स्पष्ट जवाब दिया था. संघ ने कहा कि यदि समाज की मांग है तो इसे किया जा सकता है, लेकिन इसका राजनीतिक लाभ नहीं उठाया जाना चाहिए.