Chandrayaan 3: जो नहीं कर पाई दुनिया वो भारत ने कर दिखाया, दक्षिणी हिस्से पर उतरने वाला बना पहला देश
साउथ पोल यानी चांद के दक्षिणी हस्से पर काफी अंधेरा होता है, इसीलिए दुनिया का कोई देश अभी तक यहां नहीं जा सका.
Chandrayaan 3: भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर अपने लैंडर को उतार कर साबित कर दिया है कि वह स्पेश प्रोग्राम में एक अग्रिणी देश है. स्वदेशी तकनीक का प्रयोग करते हुए बेहद कम बजट में इस मिशन को अंजाम देना भारत के लिए कई मायनों में खास है. वैसे तो इससे पहले कई देश चंद्रमा पर जा चुके हैं लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत पहला देश है. इस हिस्से पर लैंडर को उतारना बेहद चुनौती भरा काम था.
बता दें कि साउथ पोल यानी चांद के इस हस्से पर काफी अंधेरा होता है, इसीलिए दुनिया का कोई देश अभी तक यहां नहीं जा सका. इसी होड़ में रूस के लूना-25 ने भी कोशिश की थी कि चंद्रमा के साउथ पोल पर वो अपना लैंडर उतारे लेकिन नाकाम रहा. दो दिन पहले ही उसके डिस्ट्रॉए होने की खबर आई थी.
10 जनवरी, 1968 को अमेरिका ने भी ऐसा प्रयास किया था लेकिन वह भी असफल रहा है. अमेरिका के सर्वेयर-7 स्पेसक्राफ्ट ने दक्षिणी पोल पर उतरना चाहा लेकिन वह नाकाम रहा है उसे वहां से काफी दूर लैंडिंग करनी पड़ी थी.
इसरो ने इसी दक्षिणी हिस्से पर अपना परचम फहराया है. यह ऐसा स्थान है जहां अंधकार के साथ-साथ गड्ढे भी खूब हैं. यहां सॉफ्ट लैंडिंग कराना अपने आप में ही बेहद चुनौती भरा काम था जिसे इसरे ने पार कर लिया है.
पूरी दुनिया में इस भारत के चंद्रयान की चर्चा है. ये क्षण प्रत्येक भारतवासी के लिए गौरव का पल है. पूरी दुनिया से भारत को बधाइयां मिल रही हैं.