Chandrayaan 3: चांद पर लैंडिंग के लिए तैयार चंद्रयान-3, जानिए चांद से जुड़ी ये दस खास बातें

Chandrayaan 3: पिछले कुझ दिनों में इंटरनेट पर चंद्रमा से जुड़े कई सवाल पूछे जा रहे हैं यहां हम आपको चंद्रमा से जुड़ी दस खास बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे.

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Chandrayaan 3: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत आज इतिहास रचने जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का मिशन चंद्रयान-3 आज शाम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. पूरी दुनिया के निगाहे आज भारत के चंद्रयान पर टकटकी लगाए बैठी है. चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर पहुंचने में अब सिर्फ कुछ घंटे शेष हैं. इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आज शाम छह बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद की सतह पर उतरेगा. जैसे ही चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई उसके बाद लोगों की चंद्रमा में दिलचस्पी बढ़ती नजर आ रही है.

पिछले कुझ दिनों में इंटरनेट पर चंद्रमा से जुड़े कई सवाल पूछे जा रहे हैं यहां हम आपको चंद्रमा से जुड़ी दस खास बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे.

1. चंद्रमा गोल नहीं अंडाकार है

आपने देखा होगा कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा बिलकुल गोल नज़र आता है. लेकिन असल में एक उपग्रह के रूप में चंद्रमा किसी गेंद की तरह गोल नहीं बल्कि ये अंडाकार है. ऐसे में जब आप चांद की ओर देख रहे होते हैं तो आपको इसका कुछ हिस्सा ही नज़र आता है.

2. कभी पूरा नहीं दिखता चंद्रमा

अगर आप कभी भी चांद को देखने की कोशिश करते हैं तो आप केवल उसका 59 प्रतिशत हिस्सा ही देख पाते हैं. ऐसा इसलिए की चांद का 41 प्रतिशत हिस्सा धरती से नहीं देखा जा सकता है. अगर आप अंतरिक्ष में जाएं और 41 फीसद क्षेत्र में खड़े हो जाएं तो आपको धरती दिखाई नहीं देगी.

3. ज्वालामुखी विस्फोट का 'ब्लू मून' से कनेक्शन

ऐसा कहा जाता है कि चंद्रमा से जुड़ा 'ब्लू मून' शब्द साल 1883 में इंडोनेशियाई द्वीप क्राकातोआ में हुए ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से उपयोग में आया. इसे पृथ्वी के इतिहास के सबसे भीषण ज्वालामुखी विस्फोटों में गिना जाता है. इस विस्फोट के बाद वायुमंडल में इतनी राख फैल गई कि राख भरी रातों में चांद नीला नज़र आया. इसके बाद ही इस टर्म की शुरुआत मानी जाती है.

4. चांद पर सीक्रेट प्रोजेक्ट

एक समय में अमेरिका चांद पर परमाणु हथियारों के उपयोग पर गंभीरता से विचार कर रहा था. अमेरिका का मकसद सोवियत संघ को अमेरिकी सैन्य शक्ति से अवगत कराना था ताकि उसपर दबाव बनाया जा सके. इस  सीक्रेट प्रोजेक्ट को 'ए स्टडी ऑफ़ लूनर रिसर्च फ़्लाइट्स' और प्रोजेक्ट 'ए119' नाम दिया गया था.

5.चांद पर कैसे बने गहरे गड्ढे

चीन देश में एक पुरानी धारणा है कि ड्रैगन द्वारा सूर्य को निगलने की वजह से सूर्य ग्रहण होता है. इसकी प्रतिक्रिया में चीनी लोग जितना संभव हो, उतना शोर मचाते थे. उनका ये भी मानना था कि चांद पर एक मेंढक रहता है जो चांद के गड्ढों में बैठता है.

6. पृथ्वी की रफ़्तार धीमी कर रहा है चंद्रमा

जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे क़रीब होता है तो इसे पेरिग्री के रूप में जानते हैं. इस दौरान ज्वार-भाटा का स्तर सामान्य से काफ़ी ज्यादा बढ़ जाता है. इस समय के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की घूर्णन शक्ति को भी कम करता है जिसके कारण पृथ्वी हर एक शताब्दी में 1.5 मिलिसेकेंड धीमी होती जा रही है.

7. चंद्रमा की रोशनी

पूर्णिमा के चांद की तुलना में सूरज 14 गुना अधिक चमकीला होता है. पूरनमासी के एक चांद से आप अगर सूरज के बराबर की रोशनी चाहेंगे तो आपको 398,110 चंद्रमाओं की ज़रूरत पड़ेगी. जब चंद्र ग्रहण लगता है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है तो उसकी सतह का तापमान 500 डिग्री फॉरेनहाइट तक गिर जाता है. और इस प्रक्रिया में 90 मिनट से भी कम का समय लगता है.

8. लियानोर्डा डा विंसी ने पता लगाया था

कभी-कभी चांद एक छल्ले की तरह दिखने लगता है. इसे हम अर्धचंद्र या फिर बालचंद्र भी कहते हैं. ऐसी स्थिति में हम देखते हैं कि चांद पर सूरज जैसा कुछ चमक रहा होता है. चांद का बाक़ी हिस्सा बहुत कम दिखाई देता है. इतना कि हम इसे न के बराबर कह सकते हैं और कुछ दिखाई देना भी काफी हद तक मौसम पर निर्भर करता है. ज्ञात इतिहास में लियानार्डो डा विंसी पहले ऐसे शख़्स थे जिन्होंने ये पता लगाया था कि चंद्रमा सिकुड़ या फैल नहीं रहा है बल्कि उसका कुछ हिस्सा केवल हमारी निगाहों से ओझल हो जाता है.

9. चांद के क्रेटर का नाम कौन तय करता है

इंटरनेशनल एस्ट्रॉनॉमिकल यूनियन न केवल चंद्रमा के गड्ढों बल्कि किसी भी अन्य खगोलीय चीज़ों का नामकरम करता है. चंद्रमा के क्रेटर्स के नाम जानेमाने वैज्ञानिकों, कलाकारों या अन्वेषकों (एक्सप्लोरर्स) के नाम पर रखे जाते हैं. अपोलो क्रेटर और मेयर मॉस्कोविंस (मॉस्को का समुद्र) के पास के क्रेटर्स के नाम अमेरिकी और रूसी अंतरिक्षयात्रियों के नाम पर रखे गए हैं. 

10. चांद का रहस्यमयी दक्षिणी ध्रुव

चांद का दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र जहां चंद्रयान-3 को पहुंचना है, उसे बेहद रहस्यमयी माना जाता है. नासा के मुताबिक़, इस इलाके में ऐसे कई गहरे गड्ढे और पर्वत हैं जिसकी छांव वाली ज़मीन पर अरबों सालों से सूरज की रोशनी नहीं पहुंची है. First Updated : Wednesday, 23 August 2023