ISRO: साइकिल से शुरु हुआ रॉकेट का सफर, आज चांद फतह करने को है तैयार, ISRO की कैसे हुई शुरुआत

History Of ISRO: आज चंद्रयान-3 के लैंडर की सोफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. इसके पहले भी अंतरिक्ष में बारत अपने कई रॉकेट भेज चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सफर को ISRO ने किन चुनौतियों को पार करके शुरु किया है

calender

History Of ISRO: आज़ादी के बाद भारत के सामने कई चुनौतियां थी. देश को फिर से खड़ा करने के लिए हर क्षेत्र में विकास की ज़रूरत थी. सारी परेशानियों के बावजूद भारत ने अपनी एक अलग पहचान बनाई, हर एक चुनौती का सामना किया और उसको पार किया. उस समय किसी नो सोचा भी नहीं होगा कि हमारा देश कभी अंतरिक्ष में भी झंडे गाड़ देगा. आज सारी दुनिया की नज़र भारत पर है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारत में रॉकेट के पुर्जों को साईकिल पर ले जाया जाता था. इस सफर को 'इसरो' ने कैसे पूरा किया, जानिए पूरी कहानी!

कभी साइकिल से ले जाए जाते थे रॉकेट के पुर्ज़े

आज इस दुनिया के साथ साथ अंतरिक्ष में भी भारत का नाम हो रहा है. लेकिन साइंस के इस विकास में भारत को बहुत समय लगा. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक वक्त पर भारत में रॉकेट के पार्ट्स को इधर से उधर ले जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल किया जाता था. भारत के लिए ये बहुत बड़ी कमयाबी है कि साइकिल के इस सफर से जो शुरुआत हुई ती वो अब चांद तक पहुंच गई है. 

'ISRO' की स्थापना किसने और कब की?

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1962 में एक समिति बनाई. जिसका नाम भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) था. इसके बाद डॉ. विक्रम साराभाई ने 5 अगस्त, 1969 इसका नाम बदल दिया. साराभाई ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का नाम बदल कर 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (ISRO) कर दिया. 

भारत की पहली लॉन्चिंग कब हुई?

1963 में पहले साउंडिंग रॉकेट के साथ भारत के औपचारिक अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इसके बाद 19 अप्रैल 1975 को भारत ने पहले सैटेलाइट 'आर्यभट्ट' को लॉन्च किया. 'आर्यभट्ट' की लॉन्चिंग के लिए रूस के लॉन्च सेंटर का प्रयोग किया गया था. भारत ने ये लॉन्च एक्सपेरिमेंट के लिए किया था. जिससे भारत ने अपना नाम अंतरिक्ष कप पहुंचा दिया था. उस वक्त सैटेलाइट बनाने में और लॉन्चिंग में लगभग 3 करोड़ की लागत लगी थी.

भारत के नाम विज्ञान के क्षेत्र में कितनी उपलब्धियां?

भारत ने पहली लॉन्चिंग करके अंतरिक्ष में अपना खता खोल लिया था. इसके बाद भारत के कई उपलब्धियां हासिल हुईं. 18 जुलाई, 1980 को इसरो ने एसएलवी-3 का सफल परीक्षण किया. इसके बाद भारत ने अपना उन देशों की लिस्ट में शामिल कर लिया जो अपने सैटेलाइट्स को खुद लॉन्च करते थे. इसमें इसरो ने रोहिणी सैटेलाइट (आरएस-1) को पृथ्वी के ऑर्बिट में स्थापित किया था. 

.इसी कड़ी में उपलब्धियों की कड़ियां जुड़ती गई. साल 1983 में दूर संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम पूर्वानुमान के लिए इनसैट-1बी को लॉन्च किया गया. 

.साल 1994 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का कामयाब लॉन्चिंग की गई. इस लॉन्च व्हीकल की मदद से अब तक 50 से ज़्यादा कामयाब मिशन लॉन्च किए जा चुके हैं.

.22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने 1380 किलोग्राम के चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया.

.इसरो ने मिशन मंगलयान को अपने पहली कोशिश में मंगल की धरती पर उतारकर इतिहास रच दिया. ऐसा करने वाला भारत चौथा देश था.

.22 जुलाई, 2019 को भारत का चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया. जैसा कि सब जानते हैं कि ये मिशन असफल रहा. लेकिन ये भी भारत के लिए बड़ी उपलब्धी के रुप में देखा गया.

.हाल ही में 14 जुलाई, 2023 को भारत ने एक बार फिर से मून मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च किया है. अब सारी दुनिया कि इसरो पर नज़र है. इसकी आज सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. अगर ये मिशन सफल हुआ तो भारत के लिए ये बहुत बड़ी कामयाबी होगी. First Updated : Wednesday, 23 August 2023