Chandrayaan 3 launch: इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि, चंद्रयान-3 ने चांद की यात्रा शुरू कर दी है. आप सभी चंद्रयान-3 को शुभकामनाएं दें कि वो आने वाले दिनों में चांद पर सफलतापूर्वक लैंड करे. ALVM3-M4 J रॉकेट ने चंद्रयान-3 को सटीक कक्ष में पहुंचा दिया है. चंद्रयान-3 को लेकर इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कई सवालों के जवाब भी दिए हैं तो चलिए जानते हैं.
वैज्ञानिकों ने चांद के एक चुनौतीपूर्ण हिस्से को Chandrayaan 3 को लैंड करने के लिए चुना है. दरअसल, वैज्ञानिकों ने चांद के जिस हिस्से को चुना है उसे लूनर साउथ पोल कहते हैं, इसकी खासियत ये है कि यहां से धरती पर सीधे नज़र रखना बेहद मुश्किल है. चांद की इस जगह पर दूसरे खनिज पदार्थों के होने की संभावना है.
चंद्रयान 3 जब चांद की सतह पर उतरेगा उस वक्त उसकी पोजीशन लूनर साउथ पोल में होगी. यहीं पर रोवर (एक छोटा सा रोबोट) निकलेगा और इस बात की खोज करेगा कि इस सतह पर खनिज, पानी आदि जैसे और क्या-क्या मिल सकते हैं. इस खोज का उद्देश्य यह है कि अगर कभी भविष्य में हम चांद पर घर बसाना चाहें तो उस समय इस खोज से बहुत मदद मिलेगी.
इस मिशन में पहला जोखिम ये होगा कि, आप जब भी कोई यान चांद की सतह पर भेजते हैं तो पूरी तरह से इसका कंट्रोल कंप्यूटर के पास होता है. इसलिए एक इंसान होने के नाते आप 4 लाख किलोमीटर दूर बैठकर उसे कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. यह पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से काम करता है.
दूसरी परेशानी ये है कि, चांद पर कोई जीपीएस नहीं है जैसे पृथ्वी पर कोई वाहन चलाते हैं तो हमें जीपीएस की मदद से उसकी सभी जानकारियां मिल जाती हैं. ड्राइवरलेस कारें जीपीएस तकनिकी से काम करती हैं लेकिन चांद पर ये काम नहीं करता है. चांद पर आपको पता नहीं चलेगा कि आप कहां पर हैं, किस सतह पर हैं और कितना दूर है? इसलिए इन सभी चीजों का अनुमान ऑनबोर्ड सेंसर से लगाया जाता है जिसमें 2,3 दिक्कतें आती हैं लेकिन अच्छी बात यह है कि इस बार इन सभी गलतियों को ध्यान में रखा गया है.
चंद्रयान 3 मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लैंडर चांद की उस सतह पर जाएगा जिसके बारे अभी तक किसी देश के पास जानकारी नहीं है. इस मिशन से न केवल चांद के बारे बल्कि अन्य ग्रहों के विषय में भी भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान की क्षमता विकसित होगी. First Updated : Saturday, 15 July 2023