Chandrayaan-3: साउथ पोल ही क्यों, तमाम मुश्किलों के बावजूद भी भारत क्यों उसी एरिया में भेज रहा है चंद्रयान-3
Chandrayaan-3: ISRO ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का रिहर्सल पूरा कर लिया है. 14 जुलाई यानी आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जाएगा. आपको बता दें कि चंद्रयान-3 दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट होगा. जो चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेगा.
हाइलाइट
- 14 जुलाई यानी आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जाएगा.
Chandrayaan-3: ISRO ने चंद्रयान-3 का लॉन्चिंग रिहर्सल पूरा किया है. इसी दौरान श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से लेकर टेलिमेट्री सेंटर और कम्यूनिकेशन यूनिट्स का जायजा लिया गया है. आपको बता दें कि चंद्रयान आज दोपहर करीब 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया जायेगा. ये मिशन भारत समेत पूरी दुनिया के लिए काफी अहम है. क्योंकि ऐसा पहली बार होने जा रहा है.
जब दुनिया का कोई मिशन चांद के साउथ पोल पर होगा. तो वह चंद्रयान-3 इस बार 10 स्टेज में चांद की सतह तक पहुंचेगा. इसमें सबसे पहला हिस्सा धरती पर शामिल होगा. इसमें लॉन्च से पहले का स्टेज, लॉन्च और रॉकेट को स्पेस तक ले जाना और धरती की कक्षाओं में चंद्रयान-3 को आगे बढ़ाना शामिल है.
चंद्रयान धरती के चारों तरफ लगायेगा 6 चक्कर
चंद्रयान धरती के चारों तरफ 6 चक्कर लगाएगा. इसके बाद दूसरा फेज शुरू होगा. दूसरे चरण में चंद्रयान -3 को चांद की तरफ भेजने का काम होगा. इसमें चंद्रयान-3 सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की तरफ बढ़ेगा. तीसरे फेज में चंद्रयान को चांद की कक्षा भेजा जाएगा.
सातवें चरण में होगी लैडिंग की तैयारी शुरू
चौथे चरण में चंद्रयान चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा. पांचवे चरण में प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एक-दूसरे से अलग होंगे, छठे चरण में डी-बूस्ट फेज शुरू होगा. सातवें चरण में लैडिंग की तैयारी शुरू होगी.
तापमान होगा शून्य से 235 डिग्री तक कम
चंद्रमा का साउथ पोल का कुछ एरिया लगातार अंधेरे की आगोश में रहता है क्योंकि वहां सूरज की रोशनी बिल्कुल भी नहीं पहुंच पाती है. इसीलिए वहां पर तापमान शून्य से 235 डिग्री तक नीचे रहता है. इतने कम तापमान में न सिर्फ किसी मशीन का काम करना काफी मुश्किल होता है बल्कि चंद्रमा के साउथ पोल पर तमाम क्रेटर्स के होने की वजह से भी लैंडिंग करना काफी मुश्किल होता है.