Chandrayaan-3: 14 दिनों में ये खास लक्ष्य हासिल करेगा चंद्रयान-3, मदद करेंगे यह सात हथियार
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 में एक लैंडर और एक रोवर शामिल है, इसमें ऑर्बिटर को शामिल नहीं किया गया है. लैंडर विक्रम पर लगाए गए चार पेलोड खासतौर पर चांद के भूभौतिकीय व भूगर्भीय संरचना को समझने के लिए आंकड़े जुटाएंगे, जो एक तरह से चांद के अतीत में झांकने जैसा है.
हाइलाइट
- चंद्रयान-3 में एक लैंडर और एक रोवर शामिल है.
- चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर को नहीं किया गया है शामिल
- चास्टे पेलोड सतह के तापीय गुणों का अध्ययन करेगा.
Chandrayaan-3: बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना परचम लहराया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मिशन चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणि ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल रहा. इसके साथ ही भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन चुका है. इस मिशन में चंद्रयान-3 के तीन बड़े लक्ष्य हैं. जिनकों हासिल करने के लिए चंद्रयान को 14 दिन का समय मिलेगा और इसमें सात हथियार मदद करेंग.
इसरो के लक्ष्याें में पहला, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता प्रदर्शित करना. दूसरा, रोवर प्रज्ञान को चांद पर भ्रमण का प्रदर्शन और तीसरा वैज्ञानिक प्रयोग को अंजाम देना. लक्ष्य हासिल के मकसद से लैंडर व रोवर में सात पेलोड का उपयोग किया गया है.
चांद के अतीत को देखेंगे लैंडर विक्रम पर तैनात 4 पेलोड
चंद्रयान-3 में एक लैंडर और एक रोवर शामिल है, इसमें ऑर्बिटर को शामिल नहीं किया गया है. लैंडर विक्रम पर लगाए गए चार पेलोड खासतौर पर चांद के भूभौतिकीय व भूगर्भीय संरचना को समझने के लिए आंकड़े जुटाएंगे, जो एक तरह से चांद के अतीत में झांकने जैसा है.
1. रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसटिव आयनोस्फियर एंड एटामोस्फियर (रंभा) नाम का पेलोड चांद की सतह के निकट प्लाज्मा (आयन और इलेक्ट्रॉन) के घनत्व और इसमें समय के साथ हुए बदलाव को मापने का काम करेगा. इसकी मदद से यह पता चलेगा कि चांद की सतह पर जमी धूल जले हुए बारूद जैसी क्यों हो गई है.
2. चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (चास्टे) पेलोड सतह के तापीय गुणों का अध्ययन करेगा.
3. इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी (आईएलएसए) भूकंपीय गतिविधियां मापते हुए चंद्रमा के क्रस्ट और मेंटल की संरचना के आंकड़े को जुटाने का काम करेगा.
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) यह चंद्रमा की गतिकीय प्रणाली समझेगा. रोवर प्रज्ञान बताएगा चांद की मौलिक संरचना
5. लेजर इंड्यूश्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) के जरिये चंद्रमा की सतह पर मौजूद तमाम तत्वों का गुणात्मक, मात्रात्मक व रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा. चंद्रमा को डीप स्पेस स्टेशन के तौर पर इस्तेमाल करने के मकसद से यह अमह रोल अदा करेगा.
6. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) लैंडिंग साइट के आसपास चंद्रमा की धूल और चट्टानों की मौलिक संरचना का पता लगाएगा. खासतौर धूल में मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिका, पोटेशियम, कैल्शियम, टाइटेनियम व आयरन की मौजूदगी का पता लगाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज करेगा.
7. इसरो अपने अभियानों को किफायती बनाने के लिए जाना जाता है और चंद्रयान-3 इसकी लाजवाब मिसाल है.
आमतौर पर प्रोपल्शन मॉड्यूल स्पेस में कचरे की तरह छोड़ दिए जाते हैं. लेकिन, चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल बेहद खास है. स्पेक्ट्रो पोलरिमीट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ (शेप) पेलोड चंद्रमा की कक्षा में परावर्तित प्रकाश के जरिये पृथ्वी का अध्ययन करेगा व पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज करेगा.