Spadex मिशन के साथ भारत ने फिर किया कमाल, अब 2025 में NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट का सफल प्रक्षेपण किया गया, जो स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन को अंतरिक्ष में ले गया. यह मिशन भारत को स्पेस डॉकिंग तकनीक में अग्रणी बनाएगा.

Ritu Sharma
Edited By: Ritu Sharma

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और मील का पत्थर हासिल करने की ओर कदम बढ़ा दिया है. इसरो ने अपने PSLV-C60 SpaDeX मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है, क्योंकि इसकी सफलता के साथ ही भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

क्या है SpaDeX मिशन?

आपको बता दें कि SpaDeX का पूरा नाम है 'स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट'. इसरो इस मिशन में दो उपग्रहों, चेजर और टारगेट, का इस्तेमाल कर रहा है. इन दोनों उपग्रहों का वजन 220 किलो है। PSLV-C60 रॉकेट के जरिए इन्हें पृथ्वी की 470 किमी ऊंचाई पर 55 डिग्री झुकाव वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इन उपग्रहों की डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को अंजाम देकर इसरो स्पेस में इस टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन करेगा.

मिशन की खासियत

वहीं आपको बता दें कि इस मिशन के तहत चेजर सैटेलाइट अपने टारगेट का पीछा करेगा और उन्हें डॉकिंग के जरिए जोड़ा जाएगा. इसके बाद अनडॉकिंग प्रक्रिया के जरिए उन्हें अलग किया जाएगा. यह तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम होगी. स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग तब होता है, जब साझा मिशनों के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की आवश्यकता होती है.

भारत के अंतरिक्ष स्टेशन का सपना

बता दें कि इस मिशन की सफलता भारत के 2035 तक अपने अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के लक्ष्य को मजबूती प्रदान करेगी. इसके अलावा, इसरो का आगामी चंद्रयान-4 मिशन, जो 2028 में लॉन्च होगा, जो SpaDeX मिशन की सफलता पर निर्भर है. इस मिशन के जरिए चंद्रमा की मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाए जाने की योजना है.

SpaDeX मिशन का महत्व

इसके अलावा आपको बता दें कि इसरो के SpaDeX मिशन के जरिए भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ा कदम उठा रहा है. स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी भारत को न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाएगी, बल्कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जाएगी.

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31 December 2024, 07:33 AM IST

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