Chhattisgarh: 29 नवंबर को छत्तीसगढ़ में हर साल एक मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों और करोड़ों की संख्या में लोग मौजूद होते हैं. छत्तीसगढ़ हमेशा लोक कला और संस्कृति के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है. जिसे लोग हर साल मनाते हैं. इसके पीछे का इतिहास कम ही लोग जानते हैं. इसकी झलक इन दिनों राजधानी रायपुर के खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव घाट में दिखाई द रही है. दरअसल, रायपुर में खारुन नदी के तट पर भव्य मेले का आयोजन किया गया है.
यह भव्य आयोजन हर साल 29 नवंबर को मनाया जाता है. इस मेले में लोग खारुन नदी के तट को लोग महादेव घाट के नाम से भी जाना जाता है. इस नदी के तट पर प्राचीन हटकेश्वरनाथ शिवमंदिर है. जहां के शिवलिंग स्वयंभू माने जाते हैं हर साल कार्तिक पूर्णिमा में इस जगह पर मेला लगता है. साथ ही तीन दिवसीय आयोजित हो रहे इस मेले का शुभारंभ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हो गया था. हर साल इस मेले में लाखों और करोंड़ों की संख्या में लोग शामिल होते हैं.
आपको बता दें कि कलचुरी शासनकाल में राजा ब्रह्मदेव के पुत्र पत्न की प्राप्ति के बाद सन 1928 में इस मंदिर का निर्माण कराया था. पुत्र रत्न प्राप्ति के बाद मेला आयोजन कर खुशी जताई थी. तभी से मेले का आयोजन लगातार हर साल किया जाता है.
प्रतिदिन मेले में लाखों और करोंड़ो की संख्या में लोग आते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना और मनोरथ पूरी होती है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा के मेले में लगभग 500 दुकानें लगी रहती हैं. साथ ही मीना बाजार भी आकर्षक का केंद्र बना हुआ है. First Updated : Tuesday, 28 November 2023