OTT के सेक्सुअल कंटेंट पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग सख्त, मंत्रालय को लिखी चिट्ठी, कानून बनाने के लिए की सिफारिश
OTT Adult Content: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म किसी भी एडल्ट सीन को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय/क्षेत्रीय भाषाओं में अस्वीकरण प्रदर्शित करें.
Child Rights Protection Commission on s OTT Sexual Content: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर सरकार को एक पत्र लिखा है. आयोग ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म किसी भी एडल्ट सीन को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय/क्षेत्रीय भाषाओं में अस्वीकरण प्रदर्शित करें. पत्र में ये भी कहा गया है कि इन डिस्क्लेमर में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 का हवाला दिया जाना चाहिए, जिसमें ग्राहकों को चेतावनी दी गई हो कि अगर उनका बच्चा एडल्ट सीन देखता है तो इन कानूनी प्रावधानों के तहत उन्हें उत्तरदायी ठहराया जा सकता है.
POCSO अधिनियम की धारा 11 में उन कार्यों को शामिल किया गया है जो किसी बच्चे के यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आते हैं. इसमे किसी भी रूप में या मीडिया में किसी भी वस्तु को पोर्नोग्राफ़िक उद्देश्यों के लिए बच्चे को दिखाना शामिल है. इस मामले में सजा का भी प्रावधान है जिसमें तीन साल तक की कैद और जुर्माना है.
POCSO अधिनियम क्या है
POCSO अधिनियम के अनुसार किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 में बच्चे के साथ क्रूरता के लिए सज़ा का व्यवधान है. इस धारा के मुताबिक, बच्चे पर हमला करना, दुर्व्यवहार करना, उपेक्षा करना, उसे उजागर करना, उसे छोड़ देना, जैसे अपराध के लिए तीन साल तक की कैद या 1 लाख रुपये का जुर्माना या फिर दोनों का व्यवधान है. बता दें कि एनसीपीसीआर द्वारा मंत्रालय को 19 सितंबर को लिखा गया पत्र अगस्त में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद सामने आया है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का उद्देश्य
इसका उद्देश्य 'अश्लील सामग्री' देखने के बाद नाबालिग बच्चों द्वारा अपराध करने की बढ़ती घटनाओं पर ध्यान देना था. पत्र को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दूरसंचार मंत्रालय को भी भेजा गया था जिसमें आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिशें की गई थी. एनसीपीसीआर के एक अधिकारी ने कहा कि अस्वीकरण इसलिए मांगा गया था क्योंकि ओटीटी प्लेटफॉर्म अलग-अलग प्रोफाइल बनाने की अनुमति देते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि कौन देख रहा है, लेकिन ये प्रोफाइल पासवर्ड से सुरक्षित नहीं हैं, जिससे बच्चों को सभी प्रकार की सामग्री तक पहुंच मिल जाती है.
एनसीपीसीआर ने सरकार से की सिफारिश
एनसीपीसीआर ने सरकार से यह भी सिफारिश की है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय यह सुनिश्चित करे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 के अनुसार माता-पिता से “सत्यापन योग्य सहमति” प्राप्त करें. अधिनियम में कहा गया है कि किसी बच्चे के किसी भी व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने से पहले, डेटा फ़िड्युसरी को माता-पिता या अभिभावक की सत्यापन योग्य सहमति प्राप्त करनी होगी. यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने से पहले माता पिता की परमिशन लेनी होगी. अपनी सिफारिशों में एनसीपीसीआर ने ये भी कहा है कि मंत्रालय बच्चे के नाम पर सिम कार्ड जारी करने की व्यवहार्यता की जांच कर सकते हैं.