कब्जे वाले कश्मीर में घुस रहा चीन? बनाई सड़क, सैटेलाइट ने दिखाईं तस्वीरें
China Built Road In Occupied Kashmir: नई सड़क सियाचिन के उत्तर में कब्जे वाले कश्मीर में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के चीनी अभियान का हिस्सा है.
China Built Road In Occupied Kashmir: एक ऐसे विकास में जिसका भारत के लिए सुरक्षा संबंधी प्रभाव हो सकता है, चीन सियाचिन ग्लेशियर के करीब अवैध रूप से कब्जे वाले कश्मीर के एक हिस्से में एक सड़क का निर्माण कर रहा है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का एक हिस्सा, शक्सगाम घाटी में सड़क जिसे 1963 में चीन को सौंप दिया गया था.
राजनाथ सिंह भी कर चुके हैं दौरा
ये सड़क चीन के झिंजियांग में राजमार्ग G219 के विस्तार से निकलती है और एक जगह पर पहाड़ों में गायब हो जाती है (निर्देशांक: 36.114783°, 76.671051°) भारत के सबसे उत्तरी बिंदु, सियाचिन ग्लेशियर में इंदिरा कोल से लगभग 50 किमी उत्तर में है. मार्च के बाद से रक्षा मंत्री राजनाथ ने दो बार दौरा भी किया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने जो ये निर्माण की तस्वीर ली है, इसकी समीक्षा करने से पता चला कि सड़क का मूल मार्ग पिछले साल जून और अगस्त के बीच रखा गया था.
कारगिल, सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा कहते हैं, "यह सड़क पूरी तरह से अवैध है और भारत को चीन के साथ अपना राजनयिक विरोध दर्ज कराना चाहिए." वहीं, नेचर देसाई की एक्स पर की पोस्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि निर्माण को सबसे पहले भारत-तिब्बत सीमा के एक पर्यवेक्षक ने हरी झंडी दिखाई थी.''
क्या है मामला?
यह सड़क ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट में बनी है - यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कश्मीर का हिस्सा है और भारत द्वारा इसपर दावा किया जाता है. अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित नवीनतम आधिकारिक मानचित्र में इस क्षेत्र को भारतीय क्षेत्र के रूप में दिखाया गया है.
लगभग 5,300 वर्ग किलोमीटर में फैले इस मार्ग पर 1947 के युद्ध में पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था और 1963 में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय सीमा समझौते के तहत इसे चीन को सौंप दिया था, जिसे भारत द्वारा मान्यता नहीं दी गई है.
सुरक्षा में खतरा
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने लंबे समय से इस बात को लेकर तर्क दिए हैं कि कब्जे वाले कश्मीर के इस हिस्से में कोई भी बदलाव भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. ऐसी भी चिंताएं हैं कि ऐसी और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं इस इलाके में मौजूदा सुरक्षा को खतरे में भी डाल सकती हैं.