बाज नहीं आ रहा चीन, अब पैंगोंग के पास कर दी ये हरकत; इधर तैयार है देशी 'जोरावर'
China India Relationship: सीमा पर चीन के साथ तनाव के बीच इंडियन आर्मी की ताकत में इजाफा होने जा रहा है. सेना को देशी टैंक जोरावर मिलने वाला है. इसे रशिया और यूक्रेन युद्ध के बाद तैयार किया गया है. ये लद्दाख के इलाके में भी अपनी ताकत दिखा पाएगा. हालांकि, इस बीच ये जानकारी भी आ रही है कि चीनी सेना ने सीमा के पास गतिविधी बढ़ा दी है. आशंका है वो वहां कोई निर्माण कार्य कर रही है.
China India Relationship: भारत और चाइना के बीच में सीमा विवाद को लेकर तनाव की स्थिति बनी रहती है. बीच-बीच में चीन सीमा के आसपास कई गतिविधियां करता रहा है. अभी जानकारी आई है कि चीन पैंगोंग झील के पास फिर अपनी हरकतें बढ़ा दी हैं. चीनी सेना वहां खुदाई कर रही है. हालांकि, एक अच्छी बात ये भी है कि भारत ने सेना की ताकत में बड़ा इजाफा किया है. चाइना से टक्कर लेने के लिए हमने देशी टैंक टैंक 'जोरावर' बनाया है.
एक तरफ भारत के विदेश मंत्री के साथ चीनी विदेश मंत्री गतिरोध का समाधान निकालने के लिए बैठक करते हैं. दूसरी तरफ उनकी सेना पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास फिर अपनी हरकतें बढ़ा दी हैं. हालांकि, भारत की सेना और सरकार हमेशा अपनी ताकत बढ़ाने के लिए काम कर रही है.
पैंगोंग के पास खुदाई
चीनी सेना पैंगोंग के पास लंबे समय से खुदाई कर रही है. उसने यहां हथियार और ईंधन के भंडारण की व्यवस्था भी की है. सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में ये सामने आया है. पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर देखा जा सकता है कि पहाड़ों के बीच बसा सिरजाप में पीएलए का बेस है. इसके आसपास चीनी सैनिकों का मुख्यालय है. ये भारत के दावा वाले इलाके में बनाए गए हैं. तस्वीरों पर भारतीय अधिकारियों की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. हालांकि, कुछ लोग इसे सही बता रहे हैं.
टैंक 'जोरावर' मिलने वाला है
LAC सेना को एक और बड़ी ताकत मिलने जा रही है. लद्दाख में चीन के सामने जल्द ही देश में बना टैंक 'जोरावर' तैनात होगा. इसे डिफेंस रिसर्च एजेंसी, डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की फर्म एलएंडटी ने बनाया है. स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर ट्रायल के एडवांस स्टेज में हैं. इस बेहद एडवांस फीचर वाले टैंक को 2 साल की मेहनत से तैयार किया गया है. इसे चीन के सामने तैनात किया जाएगा.
जोरावर खास है
हल्के टैंक जोरावर का वजन 25 टन के करीब है. पहले सेना को 59 टैंक दिए जाएंगे. माना जा रहा है सेना इसी सबसे बड़ी मात्रा में खरीद सकती है. इसे भारतीय वायु सेना सी-17 कार्गो विमान में लाया ले जाया जा सकता है. ये पहाड़ी घाटियों में तेजी से पढ़ाई कर सकता है. इन टैंकों के अगले 12-18 महीनों में परीक्षण के लिए रखा जाएगा. इसके बाद ये सेना का हिस्सा बन जाएगा.