भारतीयों को हनीट्रैप में फंसा रहा चीन, अब तक 3000 लोगों को बनाया शिकार, महिलाएं भी शामिल
Honey-Trap Case: सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक डिग्रीधारी मुंशी प्रकाश इस धोखाधड़ी का शिकार इस तरह हुए जब वह हैदराबाद में एकआईटी फर्म के साथ काम कर रहे थे और उन्होंने विदेश में नौकरी की तलाश में जॉब साइट्स पर अपना प्रोफाइल पोस्ट किया था. मुकेश को कथित तौर पर कंबोडिया में एक एजेंट विजय नामक व्यक्ति का फोन आया, जिसने उन्हें ऑस्ट्रेलिया में नौकरी का प्रस्ताव दिया.
Honey-Trap Case: चीनी साइबर अपराधियों द्वारा कई भारतीय महिलाओं को कंबोडिया से तस्करी कर लाया गया है. इन महिलाओं का वीडियो कर पर नग्न कर इनके जरिए लोगों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस कारनामे का खुलासा तेलंगाना के रहने वाले सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक डिग्रीधारी मुंशी प्रकाश ने किया, जो खुद इस धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक डिग्रीधारी मुंशी प्रकाश इस धोखाधड़ी का शिकार इस तरह हुए जब वह हैदराबाद में एक आईटी फर्म के साथ काम कर रहे थे और उन्होंने विदेश में नौकरी की तलाश में जॉब साइट्स पर अपना प्रोफाइल पोस्ट किया था.
इस तरह फंसे प्रकाश
मुकेश को कथित तौर पर कंबोडिया में एक एजेंट विजय नामक व्यक्ति का फोन आया, जिसने उन्हें ऑस्ट्रेलिया में नौकरी का प्रस्ताव दिया. प्रकाश ने बताया कि उस व्यक्ति ने उनसे ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले की अपनी यात्रा का इतिहास बताना होगा और उसने मुझे मलेशिया के लिए टिकट दे दिया. उन्होंने आगे बताया "कुआलालंपुर से मुझे 12 मार्च को नोम पेन्ह ले जाया गया. जहां विजय के एक स्थानीय प्रतिनिधि ने मुझसे 85,000 रुपये के अमेरिकी डॉलर लिए.
प्रकाश ने बताया कि इसके बाद चीनी नागरिकों ने मेरा पासपोर्ट जब्त कर लिया और मुझे क्रोंग बावेट ले गए. यह टावरों वाला एक बड़ा परिसर है. मुझे अन्य भारतीयों के साथ टावर सी में रखा गया. हमें तेलुगु और अन्य भाषाओं में लड़कियों के नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने और उनका इस्तेमाल करने के लिए दस दिनों की ट्रेनिंग दी गई. उन्होंने मुझे एक हफ्ते तक के लिए अंधरे कमरे में रखा और मुझे प्रताड़ित किया. इस दौरान जब मैं बीमार पड़ गया, तो उन्होंने मुझे बाहर निकाला, लेकिन फिर भी मुझे धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता रहा.
कैसे बचे प्रकाश?
प्रकाश ने आगे बताया, "मैंने एक सेल्फी वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें मैंने अपने दर्दनाक अनुभवों को बयां किया. मैंने तमिलनाडु में अपनी बहन को एक ईमेल भेजा, जिसने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. " प्रकाश की बहन से मिली जानकारी के आधार पर वहां स्थित भारतीय दूतावास तथा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया.
कम्बोडियाई पुलिस ने कथित तौर पर प्रकाश को 16 अप्रैल को तस्करों से बचाया था, लेकिन बाद में उसे चीनी गिरोह द्वारा उसके खिलाफ लगाए गए फर्जी आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. प्रकाश के 12 दिन जेल में बिताने के बाद अधिकारियों को पता चला कि आरोप फर्जी था, जिसके बाद उसे 5 जुलाई को वापस दिल्ली भेज दिया गया. उनके साथ 9 अन्य लोगों को भी बचाया गया.
3,000 भारतीय कंबोडिया में फंसे हैं
प्रकाश के अनुसार, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई निवासियों सहित लगभग 3,000 भारतीय कंबोडिया में फंसे हुए हैं. हिरासत शिविरों में फंसे लोगों को, जिनमें लड़कियां भी शामिल हैं, नग्न अवस्था में कॉल करने के लिए मजबूर किया जाता है. प्रकाश ने बताया कि वह केरल, तमिलनाडु, मुंबई, दिल्ली और कर्नाटक के लोगों से मिले हैं, उन्होंने बताया कि उन सभी को यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया गया कि उन्हें विदेश में नौकरी मिल जाएगी. ये साइबर अपराधी इस घोटाले से जुटाए गए धन को क्रिप्टोकरेंसी में बदलते हैं और फिर अमेरिकी डॉलर में बदल देते हैं, और अंत में उसे चीनी युआन में बदला जाता है.