Electoral Bond Scheme: नागरिकों को राजनीतिक दलों के धन स्त्रोत जानने का अधिकार नहीं, SC में बोले अटॉर्नी जनरल

Electoral Bond Scheme: राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर अटॉर्नी (एजी) जनरल आर. वेंकटरमणी ने उच्चतम न्यायालय में लिखित हलफनामा दाखिल किया है. उन्होंने बताया कि नागरिकों को धन के स्त्रोत के बारे में जानकारी का अधिकार नहीं है.

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Electoral Bond Scheme: पिछले काफी लंबे समय से राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड की जानकारी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे. इन सवालों के बीच अटॉर्नी (एजी) जनरल आर. वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में एक लिखित हलफनामा दाखिल किया है. इसमें उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत नागरिकों को धन के स्त्रोत के बारे में जानकारी का अधिकार नहीं है. अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने कहा कि उचित प्रतिबंधों के अधीन हुए बिना कुछ भी और सबकुछ जानने का कोई सामान्य अधिकार नहीं हो सकता है.

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि, यह योजना योगदानकर्ता को गोपनीयता का लाभ देती है और योगदान किए जा रहे पारदर्शी धन को सुनिश्चित करती है, इसके साथ ही बढ़ावा देती है. यह कर दायित्वों का पालन सुनिश्चित करती है. इस तरह यह किसी भी मौजूदा अधिकार का उल्लंघन नहीं करती है.

शीर्ष अदालत ने क्या कहा?

शीर्ष अदालत के विधि अधिकारी ने कहा कि न्यायिक समीक्षा की शक्ति बेहतर या अलग नुस्खे सुझाने के मकसद से राज्य की नीतियों का अवलोकन करने के बारे में नही है. उन्होंने आगे कहा, एक संवैधानिक अदालत राज्य की कार्रवाई की समीक्षा केवल तभी करती है, जब यह मौजूदा अधिकारों का उल्लंघन करती है.

वहीं, वेंकटरमणी ने कहा, राजनीतिक दलों के योगदान का लोकतांत्रिक महत्व है और यह राजनीतिक बहस के लिए एक उपयुक्त विषय है. प्रभावों से मुक्त शासन जवाबदेही की मांग का मतलब यह नहीं है कि अदालत स्पष्ट संवैधानिक रूप से उल्लंघन करने वाले कानून के अभाव में ऐसे मामलों पर घोषणा करने के लिए आगे बढ़ेगी.

मामले की कल सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

बता दें कि शीर्ष अदालत के पांच न्यायाधीशों की पीठ राजनीतिक चंदे के लिए चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवा, 31 अक्तूबर से सुनवाई शुरू करेगी. सरकार द्वारा दो जनवरी, 2018 को अधिसूचित इस योजना को राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के तौर पर पेश किया गया था.

क्या है चुनावी बॉन्ड का प्रावधान? 
 
आपको बदा दें कि वर्तमान समय के प्रावधानों के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या भारत में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है0. एक व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ चार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. जिसमें कांग्रेस नेता जया ठाकुर और माकपा की याचिकाएं भी शामिल हैं. First Updated : Monday, 30 October 2023