बेंगलुरु एयरपोर्ट से हिंदी हटाए जाने के दावे पर मचा बवाल, बीआईएएल ने दी सफाई
एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो में बेंगलुरु एयरपोर्ट की डिजिटल स्क्रीन नजर आई, जिस पर उड़ानों से जुड़ी जानकारी केवल कन्नड़ और अंग्रेजी में प्रदर्शित हो रही थीं.

केंद्र और दक्षिण भारतीय राज्यों के बीच भाषा को लेकर जारी बहस के बीच सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. एक यूजर ने दावा किया कि बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर डिस्प्ले बोर्ड से हिंदी भाषा को हटा दिया गया है. एक्स पर शेयर किए गए एक वीडियो में टर्मिनल 1 की डिजिटल स्क्रीन पर केवल अंग्रेजी और कन्नड़ में उड़ान की जानकारी दिखाई गई, जिसमें फ्लाइट नंबर, गंतव्य और गेट की डिटेल्स थीं.
दो भाषाओं अंग्रेजी और कन्नड़ में जानकारी
यूजर ने पोस्ट में लिखा कि टी1 टर्मिनल पर मौजूद सभी डिजिटल बोर्ड केवल दो भाषाओं अंग्रेजी और कन्नड़ में जानकारी दे रहे हैं. इसके बाद उसने कई और वीडियो साझा किए, जिनमें यही दो भाषाएं दिखाई दीं. पोस्ट वायरल होते ही बहस छिड़ गई कि क्या सार्वजनिक स्थलों पर बहुभाषी जानकारी देना जरूरी है.
ಇಂದು ಬೆಂಗಳೂರಿನ ಕೆಂಪೆಗೌಡ ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ವಿಮಾನ ನಿಲ್ದಾಣದ T1 terminal ನಲ್ಲಿ ಒಂದು ಅಚ್ಚರಿ ಕಾದಿತ್ತು 😃
— ಗೌತಮ್ ಗಣೇಶ್ | Goutham Ganesh (@gouthamganeshmh) April 12, 2025
ಎಲ್ಲಾ Digital ಬೋರ್ಡುಗಳಲ್ಲಿ ವಿಮಾನಗಳ ಹಾರಾಟದ ಮಾಹಿತಿ, ವಿಮಾನಗಳ ಬರುವ ಮತ್ತು ಹೊರಡುವ ವೇಳಪಟ್ಟಿ ಮತ್ತಿತರ ಮಾಹಿತಿಗಳು ಬರೀ English ಹಾಗು ಕನ್ನಡದಲ್ಲಿತ್ತು ! ✨✈️#TwoLanguagePolicy@BLRAirport pic.twitter.com/FbaJhX5O7r
फ्लाइट डिस्प्ले सिस्टम में कोई बदलाव नहीं
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बैंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (BIAL) ने कहा कि उन्होंने अपने फ्लाइट डिस्प्ले सिस्टम में कोई बदलाव नहीं किया है. प्रवक्ता ने बताया कि यह वर्षों से चलती आ रही नीति है जिसमें अंग्रेजी और कन्नड़ में जानकारी दी जाती है ताकि यात्रियों को सुविधा हो. इसके अलावा, टर्मिनल में लगे संकेतक बोर्ड तीन भाषाओं कन्नड़, अंग्रेजी और हिंदी में हैं.
— ಗೌತಮ್ ಗಣೇಶ್ | Goutham Ganesh (@gouthamganeshmh) April 12, 2025
भाषा को लेकर राष्ट्रीय बहस
इस विवाद ने एक बार फिर भाषा को लेकर राष्ट्रीय बहस को हवा दे दी है. कुछ यूजर्स ने इसे क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक बताया और कहा कि यह "हिंदी थोपने के खिलाफ" एक सकारात्मक कदम है. वहीं, कई लोगों ने तर्क दिया कि हवाई अड्डे जैसे अंतरराष्ट्रीय स्थल पर हिंदी जैसी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा को शामिल किया जाना चाहिए.
एक यूजर ने लिखा कि मेट्रो में हिंदी न होना समझ आता है, लेकिन हवाई अड्डों पर इसे हटाना व्यावहारिक नहीं है. वहीं, दूसरे ने कहा, यह जगह मदद के लिए होती है, भाषाई राजनीति के लिए नहीं.