उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़: न्यायालयों को 'Subordinate' कहना गलत, बदलाव की जरूरत
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में कहा कि अदालतों को 'subordinate' कहना उचित नहीं है. उन्होंने न्याय व्यवस्था की अहमियत पर जोर देते हुए जिला अदालतों और वकील समुदाय की भूमिका की सराहना की. उनका मानना है कि तकनीक के समावेश से न्याय प्रणाली को और सशक्त बनाया जा सकता है. उन्होंने व्यवसायों से भी अपील की कि वे स्थानीय अदालतों में निवेश करें. जानें, धनखड़ के इस महत्वपूर्ण भाषण के और क्या मायने हैं.
Vice President Dhankhar: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में न्याय प्रणाली को लेकर महत्वपूर्ण बातें कहीं. उन्होंने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि किसी भी अदालत को 'subordinate' कहना उचित नहीं है. उनकी राय में, यह शब्द हमारे न्यायालयों के महत्व को कम करता है.
धनखड़ ने कहा कि किसी भी देश या सभ्यता का आकलन उसकी न्याय व्यवस्था से होता है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब हम अदालतों को इतना महत्वपूर्ण मानते हैं, तो उन्हें subordinate क्यों कहा जाए? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा और न्यायालयों को एक नए दृष्टिकोण से देखना होगा.
जिला अदालतें: न्याय व्यवस्था की नींव
उपराष्ट्रपति ने जिला अदालतों को हमारी न्याय व्यवस्था की बुनियाद बताय. उन्होंने कहा कि अगर हमें न्याय को सुलभ और किफायती बनाना है, तो हमें इन अदालतों, मजिस्ट्रेट्स और युवा वकीलों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. उनका मानना है कि जिन पेशेवरों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, उनके लिए बेहतर संसाधन और समर्थन सुनिश्चित करना आवश्यक है.
We have a robust and independent judiciary. Our judiciary, from the Supreme Court down, is globally respected for its intelligence, commitment, integrity, and constant availability.
— Vice-President of India (@VPIndia) October 27, 2024
बार और बेंच — ये दो शब्द हैं, लेकिन इनकी आत्मा एक है। इनमें कभी कोई विभाजन नहीं होना चाहिए। मतभेद… pic.twitter.com/o7QSmsjYc1
तकनीक और वैज्ञानिक जांच का समावेश
धनखड़ ने बताया कि सरकार ने न्याय प्रणाली में बदलाव लाने के लिए गहन अध्ययन किया है और इसमें तकनीक का समावेश किया गया है. इससे वैज्ञानिक जांच को नया आयाम मिलेगा. उन्होंने बार और बेंच के बीच में एकता की बात की और कहा कि दोनों का उद्देश्य समान होना चाहिए.
व्यवसायों की भूमिका
उपराष्ट्रपति ने व्यवसायों और उद्योगपतियों से भी अपील की कि वे जिला स्तर पर न्यायपालिका का समर्थन करें. उनका कहना था कि चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और व्यापार संघों को स्थानीय अदालतों में निवेश करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. इससे न्याय व्यवस्था को मजबूती मिलेगी और यह एक सकारात्मक पहल होगी.
हमारी न्याय प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण अंग को हम “subordinate” क्यों कहते हैं? दोनों शब्दों में बदलाव होना चाहिए, और ऐसा ही बदलाव सोच में भी होना चाहिए — कोई भी अदालत “subordinate” नहीं है।
— Vice-President of India (@VPIndia) October 27, 2024
जब एक मजिस्ट्रेट या जिला जज कोई फैसला लिखते हैं, तो उनके मन में यह शंका होती है कि उनके… pic.twitter.com/oSqYqgY3K3
धनखड़ ने वकील समुदाय से भी सहयोग की अपेक्षा की और कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट हर संभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछ चीजें उनके नियंत्रण में नहीं होतीं. उन्होंने सभी से मिलकर न्याय व्यवस्था को सशक्त बनाने की अपील की.
इस तरह, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हमारे न्याय प्रणाली में आवश्यक बदलाव की बात की है. उनका यह संदेश स्पष्ट है कि न्यायालयों को सम्मान और शक्ति देने की आवश्यकता है. न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा, तभी हम एक सशक्त और समृद्ध समाज की ओर बढ़ पाएंगे.