जगदीप धनखड़ के दौरे पर सीएम गहलोत ने उठाए सवाल, उपराष्ट्रपति ने शायराना अंदाज में दिया जवाब

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राजस्थान के सीकर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बगैर नाम लिए सीएम अशोक गहलोत की आपत्ति पर कहा, मैं यहां पर आया हूं, ठीक काम कर रहा हूं, कोई गलत काम थोड़े ही है.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चुनावी राज्य के लगातार दौरों पर की गई भद्दी टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "सत्ता में बैठे लोगों" को संवैधानिक पदों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राजस्थान के सीकर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बगैर नाम लिए सीएम अशोक गहलोत की आपत्ति पर कहा, "मैं यहां पर आया हूं, ठीक काम कर रहा हूं, कोई गलत काम थोड़े ही है.''

उपराष्ट्रपति ने कहा, ''पहले भी कई जगह गया, पर कुछ लोगों ने कहा कि आप क्यों आते हो बार-बार. अरे मुझे समझ में नहीं आया कि क्यों कह रहो कि बार-बार... मैं थोड़ा अचंभित हो गया क्योंकि कहने वाले ने न तो संविधान को पढ़ा, न कानून को पढ़ा, न अपने पद की मर्यादा रखी. थोड़ा अगर सोच लेते, कानून में झांक लेते तो उनको पता लग जाता कि भारत के उपराष्ट्रपति की कोई भी यात्रा अचानक नहीं होती, बड़े सोच-विचार, मंथन-चिंतन के बाद होती है, पर कह दिया कि आपका आना ठीक नहीं है, किस कानून के तहत, पता नहीं.''

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे कहा, ''...व्यथित होकर, दुखी होकर, पीड़ित महसूस करके कि मुझे इस मामले में क्यों घसीटा, मेरा काम तो संविधान सम्मत था, जनता के भले के लिए था, कृषक पुत्र होने के नाते किसान संस्थाओं में गया, शिक्षा का मैं प्रोडक्ट हूं, शिक्षा की वजह से मेरी उन्नति हुई है तो मैं हर जगह संस्थाओं में भी गया, बाकी मेरी यात्रा विधानसभा के अध्यक्ष के निमंत्रण पर हुई, केंद्र सरकार के कार्यक्रमों में हुई, राज्य सरकार ने कोई कार्यक्रम नहीं बनाया, नहीं बुलाया, मुझे तो परेशानी नहीं है, उनका विवेक है, वो जानें. इस पृष्ठभूमि में मैंने जो कविता बनाई है वह है.

खता क्या ही हमने, पता ही नहीं
आपत्ति क्यों है उन्हें, हमारे घर आने की, पता ही नहीं
ये कैसा मंजर है, समझ से परे है
सवालिया निशान क्यों है, अपने घर आने में
क्या जुल्म है, पता ही नहीं''

इसके बाद उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, ''कुछ लोग कह रहे हैं कि आप यहां बार-बार क्यों आते हैं... मुझे उम्मीद नहीं थी कि सत्ता में बैठे लोग संवैधानिक पदों को हल्के में लेंगे. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. संवैधानिक पदों का सम्मान होना चाहिए और हम सभी को एकजुट होकर, हाथ में हाथ डालकर, सहमति से सहयोग और समन्वय के साथ बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करनी होगी." First Updated : Friday, 06 October 2023