कोचिंग की मंदी... 'For Sale' और 'To-Let' के बोर्ड और खाली सड़कों से सूना हुआ कोटा!

कोटा में कोचिंग के क्षेत्र में भारी गिरावट देखी जा रही है, जहां छात्रों की संख्या में 30% कमी आई है, जिससे पीजी हॉस्टल्स और कारोबारी भी संकट में हैं. इसके साथ ही, छात्रों के आत्महत्या मामलों में बढ़ोतरी ने शहर की छवि को भी प्रभावित किया है. कोटा में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और मानसिक दबाव के कारण छात्रों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

देश का कोचिंग हब कहे जाने वाला कोटा इन दिनों गंभीर संकट से गुजर रहा है. यहां की कोचिंग अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है. पिछले कुछ सालों में कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है. खासकर इंजीनियरिंग और मेडिकल के लिए आने वाले छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है. ये गिरावट केवल कागजों पर ही नहीं, बल्कि कोटा शहर की सड़कों और पीजी हॉस्टल्स की खाली इमारतों में भी दिखाई दे रही है. बिल्डर्स, डेवलपर्स और निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि उनके निवेश के अनुपात में रिटर्न बिल्कुल भी नहीं मिल रहा.

कोटा की कोचिंग अर्थव्यवस्था में गिरावट

कोटा में कोचिंग के क्षेत्र में आई गिरावट ने निवेशकों और कारोबारियों को बड़ा झटका दिया है. कोटा के कोरल पार्क इलाके में कई इमारतों पर 'To-Let' और 'For Sale' के बोर्ड लगे हुए हैं. कई निर्माणाधीन इमारतों पर काम रुक चुका है, क्योंकि डेवलपर्स को लगता है कि नई पीजी या हॉस्टल इमारतें बनाने में कोई फायदा नहीं है. मौजूदा हॉस्टल्स पहले की तरह भरे नहीं जा रहे, जिससे कई कारोबारी संकट में हैं.

छात्रों की संख्या में भारी गिरावट

वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,75,351 छात्र कोटा के कोचिंग संस्थानों से NEET और JEE की तैयारी कर रहे थे, लेकिन 2024-25 में ये संख्या घटकर केवल 1,22,616 रह गई है, जो करीब 30% की गिरावट को दर्शाता है. इस गिरावट के साथ-साथ, पीजी हॉस्टल्स की ऑक्यूपेंसी भी घटकर 40-60% रह गई है, जबकि पहले ये 85-100% होती थी. इससे पीजी मालिकों की आय भी प्रभावित हुई है. पहले जिनकी मासिक आय 3 लाख थी, अब उनकी आय घटकर सिर्फ 30,000 रुपये रह गई है.

कोटा में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या

कोटा में छात्रों के आत्महत्या मामले की संख्या में भी चिंताजनक वृद्धि हुई है. साल 2025 में अब तक 6 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि 2024 में ये संख्या 16 थी. 2023 में 27 छात्रों की आत्महत्या ने शहर की कोचिंग हब की छवि को और भी धूमिल किया है. राजस्थान के कोटा जिले में पिछले 12 सालों में 150 से ज्यादा छात्रों ने आत्महत्या की है.

दबाव का सामना करने वाले छात्र

कोटा में आने वाले छात्रों के लिए अत्यधिक दबाव भी एक मुख्य कारण बन चुका है. अधिकांश छात्र बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों से आते हैं और वे माता-पिता की अपेक्षाओं के साथ-साथ कोटा के प्रतिस्पर्धात्मक माहौल के दबाव को सहते हैं. 

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20 March 2025, 06:05 PM IST

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