महिंद्रा थार और रॉयल एनफील्ड...आंध्र प्रदेश में मुर्गों की लड़ाई का इनाम जानकर रह जाएंगे हैरान!

इस संक्रांति पर आंध्र प्रदेश में मुर्गों की लड़ाई ने नया मोड़ लिया है। अब ये खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि महिंद्रा थार और रॉयल एनफील्ड बुलेट जैसे शानदार इनामों का मौका बन गए हैं! क्या आप भी बुलेट या थार जीतने के ख्वाब देख रहे हैं? जानिए कैसे इन बड़े पुरस्कारों ने पूरी खेल को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है!

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Edited By: Aprajita

Cockfights Reached: संक्रांति का त्योहार आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार मुर्गों की लड़ाई ने एक नई ऊंचाई को छुआ है। अब ये मुकाबले सिर्फ मनोरंजन नहीं रहे, बल्कि यहां पुरस्कारों की भारी बारिश हो रही है, जिसमें महिंद्रा थार जैसी शानदार कार और रॉयल एनफील्ड बुलेट जैसी बाइक जैसे आकर्षक इनाम मिल रहे हैं। इन विशेष पुरस्कारों ने स्थानीय मुर्गों की लड़ाई को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है।

मुर्गों की लड़ाई में बढ़ी हुई दौलत: महिंद्रा थार जीतने का मौका

काकीनाडा जिले के पेनुगुडुरु गांव में इस बार की मुर्गा लड़ाई में एक बड़ा पुरस्कार रखा गया है – महिंद्रा थार! आयोजकों का कहना है कि इस साल इस पारंपरिक खेल को और भी खास बनाने के लिए थार को इनाम के तौर पर रखा गया है। एक आयोजक ने कहा, 'हम चाहते हैं कि प्रतिभागियों को इस खेल का असली मजा मिले और इसके लिए हमने थार को इनाम के रूप में रखा है।' अब ये आयोजन सिर्फ एक खेल नहीं रह गए, बल्कि एक बड़े पुरस्कार मेला बन चुके हैं, जहाँ टिकट के पैसों का इस्तेमाल इनामों पर हो रहा है।

रॉयल एनफील्ड बुलेट: जो जीतेगा, उसे मिलेगा बाइक का इनाम

कृष्णा जिले के कई इलाकों जैसे गन्नावरम, पेनमालुर, पेडाना और मछलीपट्टनम में भी मुर्गों की लड़ाई जोरों पर है, लेकिन यहां पुरस्कार थोड़ा अलग है – रॉयल एनफील्ड बुलेट! गुडीवाड़ा में सबसे तेज़ जीतने वाला मुर्गा अपने मालिक को बुलेट पर घर लौटने का मौका देगा। आयोजकों ने बताया कि वे तीन दिनों तक हर दिन एक बुलेट देने का वादा कर रहे हैं, जिससे प्रतियोगी और उनके मुर्गे और भी उत्साहित हो रहे हैं। एक आयोजक ने बताया, 'जो मुर्गा सबसे तेज़ जीतता है, उसे बुलेट मिलेगा, और यह उत्साह और बढ़ा देता है।'

मुर्गों की लड़ाई में शहरों से भी बढ़ रही दिलचस्पी

ये खास पुरस्कार अब सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए नहीं, बल्कि हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे बड़े शहरों से भी प्रतियोगियों को खींच रहे हैं। अब इन मुर्गों की लड़ाई को स्टेडियम जैसा माहौल मिल रहा है, जहां फ्लडलाइट्स, बड़ी एलईडी स्क्रीन और कार्निवल की तरह के माहौल से यह खेल एक सितारे जैसा बन गया है। यह बदलाव मुर्गों की लड़ाई को एक आम खेल से कहीं ज्यादा बना देता है, जहां उत्साह और रोमांच दोनों हैं।

एक सपने का सच होना: बुलेट पाने का ख्वाब

कई प्रतियोगी इन शानदार पुरस्कारों को लेकर बेहद उत्साहित हैं। बी.टेक छात्र के. वसंत राम ने कहा, “बुलेट का मालिक बनना मेरे लिए एक सपना था। मैंने अपनी जेब खर्च से मुर्गा खरीदा है और उम्मीद करता हूँ कि यह जीतेगा।” ये शब्द इस बदलाव को बयां करते हैं कि अब मुर्गों की लड़ाई सिर्फ एक पारंपरिक खेल नहीं, बल्कि एक जीवन बदलने वाला मौका बन गई है।

परंपरा और बदलाव के बीच का अंतर

हालांकि, कुछ लोग इस बदलाव को लेकर खुश नहीं हैं। पश्चिमी गोदावरी के एक किसान प्रतीपति रमना ने पुराने समय की यादें ताजा करते हुए कहा, “पुराने समय में मुर्गों की लड़ाई सिर्फ मज़े के लिए होती थी, न कि पैसों के लिए। अब यह सब कुछ बदल गया है।” उनका कहना है कि पहले ये सिर्फ एक मनोरंजन का तरीका था, लेकिन अब इसमें खून और हिंसा का भी रंग घुलने लगा है।

पुरस्कार और उत्साह का संगम

इस बार की मुर्गों की लड़ाई ने पुरानी परंपरा को नए रंग में रंग दिया है। अब यह खेल केवल एक साधारण मनोरंजन नहीं रहा, बल्कि एक बड़ा आकर्षण बन गया है, जहाँ भव्य पुरस्कार और उत्साह का संगम देखने को मिल रहा है। इस संक्रांति पर आंध्र प्रदेश के गांवों में मुर्गों की लड़ाई के साथ-साथ इन बेहतरीन पुरस्कारों की चर्चा भी जोरों पर है।

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14 January 2025, 03:49 PM IST

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