'आखिरी चुनाव में दांव पर थी शरद पवार की साख', MVA नहीं बचा पाया लाज, अब उठे बगावत के सुर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद अब महाविकास अघाड़ी (MVA) में बगावत के सुर उठने लगे हैं. शिवसेना यूबीटी के नेता अंबादास दानवे ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अति आत्मविश्वास में आ गई थी और सहयोगियों से चर्चा बंद कर दी थी.
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) के बीच सिर फुटव्वल होने लगा है. शिवसेना नेता अंबादास दानवे ने कांग्रेस पर अति आत्मविश्वास होने का आरोप लगाया है. दानवे ने दावा किया कि कांग्रेस लोकसभा चुनावों की सफलता के बाद अपने सहयोगियों शिवसेना यूबीटी और एनसीपी (शरद पवार) को महत्व देना बंद कर दिया था. दरअसल, शरद पवार 84 साल के हो चुके हैं. उन्होंने कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव है और अपनी विरासत को अब अगली पीढ़ी को सौंपना चाहते हैं.
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में एमवीए को महाराष्ट्र की 288 सीटों में से केवल 46 सीटों पर जीत दर्ज की है, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार) को 10 सीटें मिली हैं. जबकि एमवीए को लोकसभा चुनाव में 48 सीटों में से 30 सीटें मिली थीं.
शिवसेना नेता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अति आत्मविश्वास में आ गई थी. जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में स्थिति कांग्रेस के लिए अनुकूल थी. झारखंड में जेएमएम ने अपनी ताकत के दम पर बहुत अच्छा काम किया है.
कांग्रेस ने गंवाई बढ़त
दानवे ने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा में अपनी शुरुआती बढ़त गंवा दी और सत्ता विरोधी लहर से जूझने के बावजूद भाजपा को लगातार तीसरी बार जीत दिलाई. जम्मू और कश्मीर में कांग्रेस जम्मू क्षेत्र में पैठ बनाने में विफल रही, जिससे वहां भाजपा को जीत मिली. हालांकि, उसके इंडिया ब्लॉक के सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने उसके समर्थन से सरकार बनाई. झारखंड में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सरकार बनाई, जेएमएम को 81 में से 34 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं.उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने सहयोगियों को महत्व नहीं दे रही है और सीट बंटवारे पर आखिरी दिन तक चर्चा हुई. इससे गठबंधन को नुकसान हुआ. इसकी वजह से कई सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बचा पाई.
CM बनने के इच्छुक थे कांग्रेस के 10 नेता
शिवसेना नेता ने दावा किया, 'कुछ कांग्रेस नेताओं ने चुनाव जीतने से पहले ही विभागों पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया था, जबकि दस नेता मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक थे.' उन्होंने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे एमवीए के मुख्यमंत्री पद के चेहरे होते तो 2-5% वोट उसके पक्ष में आते. 2019 से 2022 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण जनता की राय ठाकरे के पक्ष में थी.उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिन सीटों पर शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव लड़ा, वहां वोट शेयर बढ़ा और पार्टी के उम्मीदवारों ने उद्धव ठाकरे से कहा कि पार्टी अपने दम पर महाराष्ट्र में सत्ता में आने के लिए अधिक सीटों के लिए संघर्ष करेगी.
इस बीच कांग्रेस के अंदर भी आत्ममंथन का दौर जारी है, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता हार के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं. एमवीए की इस हार ने गठबंधन के भीतर समन्वय और रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे भविष्य में गठबंधन की एकजुटता पर भी संदेह उत्पन्न हो रहा है.