जमीनी स्थिति सुधारने के लिए भारत-चीन में हुई आम सहमति, सीमा विवाद पर बोले राजनाथ सिंह
India-China relations: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर संघर्षों को हल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच सहमति बनी है कि जमीन की स्थिति को 2020 की झड़पों से पहले के स्तर पर लाया जाएगा. देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है, जिससे तनाव में कमी आ सकती है और नियमित गश्त पर लौटने का मार्ग प्रशस्त होगा.
India-China relations: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ क्षेत्रों में जारी संघर्षों को हल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच एक व्यापक सहमति है, जिसके तहत जमीन पर स्थिति को 2020 में हुई सीमा झड़पों से पहले के स्तर पर लाने का प्रयास किया जा रहा है.
सेना के सूत्रों के अनुसार, देपसांग और डेमचोक मैदानों में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच वापसी का कार्य पूरा हो गया है. यह वापसी 2020 की झड़पों के बाद से तनाव के लंबे समय तक बने रहने के बाद हो रही है, और इससे नियमित गश्त पर लौटने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.
सैनिकों के बीच होगा मेल-जोल
सूत्रों के अनुसार, भारत और चीन के सैनिक गुरुवार को दिवाली के मौके पर मिठाइयों का आदान-प्रदान करेंगे. इस प्रक्रिया में सैनिकों, तंबुओं और अस्थायी संरचनाओं को हटाने का काम किया गया है. तेजपुर में मीडिया से बात करते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत और चीन के बीच जो सहमति बनी है, वह 'समान और पारस्परिक सुरक्षा' के आधार पर है. उन्होंने कहा कि इस सहमति में पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और चराई के अधिकार भी शामिल हैं.
गश्त पर समझौता
राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत ने 21 अक्टूबर को एलएसी पर गश्त करने के संबंध में चीन के साथ एक समझौते पर पहुंचने की घोषणा की थी. यह समझौता चार साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद शुरू हुआ था.
हवाई सत्यापन की सफलता
मंगलवार को देपसांग क्षेत्र में हवाई सत्यापन सफलतापूर्वक पूरा किया गया. शाम तक, इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखने को मिली. देपसांग और डेमचोक से टेंट, अस्थायी संरचनाएं और वाहन पूरी तरह से हटा दिए गए. साथ में पीछे हटने और सत्यापन की प्रक्रियाएं सावधानीपूर्वक की गईं. यह वास्तविक नियंत्रण रेखा के इस हिस्से पर स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.