'बाबरी मस्जिद पर उद्धव के सहयोगी के बयान से सियासी भूचाल! समाजवादी पार्टी ने छोड़ा महा विकास अघाड़ी'
महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है! बाबरी मस्जिद विध्वंस पर शिवसेना के एक नेता के बयान के बाद समाजवादी पार्टी ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) छोड़ दिया. उनका कहना है कि वे कभी भी सांप्रदायिक विचारधारा के साथ नहीं रह सकते. इस विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति को गरमा दिया है और अब सबकी नजरें इस नए बदलाव पर हैं. जानें पूरी कहानी और जानिए कि यह सियासी पलटवार राज्य की राजनीति में क्या बदलाव लाएगा!
Samajwadi Party Breaks Alliance: महाराष्ट्र की सियासत में एक बड़ा उलटफेर हुआ है. समाजवादी पार्टी ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी मिलिंद नार्वेकर की विवादास्पद टिप्पणी के बाद महा विकास अघाड़ी (एमवीए) से अलविदा लेने का फैसला किया है. यह कदम राज्य के राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलाव ला सकता है, क्योंकि समाजवादी पार्टी एमवीए के अहम हिस्से के रूप में शुमार थी.
क्या था विवाद?
दरअसल बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं वर्षगांठ पर मिलिंद नार्वेकर ने मस्जिद की तस्वीर के साथ बालासाहेब ठाकरे का एक उद्धरण साझा किया, जिसमें लिखा था, 'मुझे उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने यह किया.' यह बयान विवादों में घिर गया, क्योंकि समाजवादी पार्टी और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों ने इसे सांप्रदायिक विचारधारा के रूप में देखा. नार्वेकर की पोस्ट में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और अन्य शिवसेना नेताओं की तस्वीरें भी थीं.
'हम सांप्रदायिक नहीं हो सकते'
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी और नेता रईस शेख ने इस टिप्पणी का विरोध करते हुए महा विकास अघाड़ी से अलग होने का ऐलान किया. आजमी ने कहा, 'समाजवादी पार्टी कभी भी सांप्रदायिक विचारधारा के साथ नहीं रह सकती, इसलिए हम एमवीए से बाहर जा रहे हैं.' उनका यह भी कहना था कि शिवसेना (यूबीटी) ने बाबरी मस्जिद गिराने वालों को बधाई देने वाला विज्ञापन दिया था और अब उनके सहयोगी ने मस्जिद के विध्वंस की सराहना की है.
— Milind Narvekar (@NarvekarMilind_) December 5, 2024
समाजवादी पार्टी का एमवीए छोड़ने का असर
समाजवादी पार्टी के इस कदम के बाद, एमवीए में एक और दरार आ गई है. पार्टी ने स्पष्ट किया कि एमवीए गठबंधन का उद्देश्य संविधान की रक्षा और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखना था. रईस शेख ने कहा, 'हमने इस गठबंधन में धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के समर्थन में कदम रखा था, लेकिन अब यह हमारे सिद्धांतों से मेल नहीं खाता.' एमवीए में दो प्रमुख दल कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) हैं और समाजवादी पार्टी के इस फैसले से दोनों को झटका लगा है.
महा युति और ईवीएम विवाद
दूसरी तरफ, महायुति गठबंधन की जीत के बाद विपक्षी दलों में गुस्सा और निराशा का माहौल है. विपक्षी नेता आदित्य ठाकरे ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करते हुए आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ईवीएम में हेरफेर किया गया. उन्होंने कहा, 'यह लोकतंत्र की हत्या है.' कांग्रेस और राकांपा के नेताओं ने भी ईवीएम के खिलाफ अपनी चिंता जताई और चुनाव में मतपत्रों के इस्तेमाल की मांग की.
समाजवादी पार्टी के महा विकास अघाड़ी से बाहर जाने के फैसले ने राज्य की राजनीति को और जटिल बना दिया है. जहां एक तरफ शिवसेना के नेतृत्व में गठबंधन की स्थिति कमजोर हो सकती है, वहीं विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ करार दिया है. अब यह देखना होगा कि समाजवादी पार्टी का यह कदम महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या असर डालता है और आगामी चुनावों में इसका क्या प्रभाव पड़ता है.