लोकसभा चुनाव से पहले यह अंतिम शीतकालिन सत्र होने जा रहा है, ऐसे में सभी विपक्षी पार्टियों ने अपने मुद्दों को चिन्हित कर लिया है कि वह किस महत्व देते हैं. साथ ही इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, जब सुशासन होता है, जब जन कल्याण के प्रति समर्पण होता है. 'सत्ता-विरोधी' शब्द अप्रासंगिक हो जाता है. आप इसे 'सत्ता-समर्थक', 'सुशासन' या 'पारदर्शिता कह सकते हैं. उन्होंने कहा कि इतने उत्कृष्ट सार्वजनिक जनादेश के बाद, हम संसद के इस नए मंदिर में मिल रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि राजनैतिक गर्मी बड़ी तेजी से बढ़ रही है. कल चार राज्यों के चुनाव के नतीजे आए. यह परिणाम बहुत उत्साहजनक हैं, खासकर उन लोगों के लिए उत्साहजनक हैं जो आम लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं. देश के लिए, देश के उज्जवल भविष्य के लिए उत्कृष्ट है.
चार राज्यों के चुनाव के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने नकारात्मकता को खारिज कर दिया है. सत्र शुरू होने से पहले हम विपक्ष के अपने साथियों से चर्चा करते हैं. हम सभी से सहयोग का आग्रह और प्रार्थना करते हैं. इस बार भी यही प्रक्रिया शुरू की गई है. मैं अपने सभी सांसदों से भी आग्रह करता हूं कि लोकतंत्र का यह मंदिर जन आकांक्षाओं के लिए और विकसित भारत की नींव को मजबूत करने के लिए आवश्यक है.
पीएम मोदी ने कहा कि मैं सदन में आपके (विपक्ष) सहयोग का आग्रह करता रहा हूं. आज मैं राजनीतिक तौर पर भी बोलता हूं- देश को सकारात्मकता का संदेश देंगे तो आपके लिए भी फायदेमंद है. ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. अगर आपकी छवि नफरत और नकारात्मकता की बन जाए तो लोकतंत्र के लिए विपक्ष भी उतना ही जरूरी है, उतना ही सक्षम भी होना चाहिए.