Court Marriage Rule: कैसे होता है कोर्ट मैरिज, भारत में क्या है नियम, जानिए इससे जुड़ी सभी जानकारी

Court Marriage Act: स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत कोई भी इंसान किसी भी धर्म, जाति समुदाय यहां तक की विदेशी से भी शादी कर सकता है. हालांकि कोर्ट मैरिज करने वाले कपल को कुछ नियम और कानून का पालन करना पड़ता है जो बेहद जरूरी होता है तो चलिए इसके बारे विस्तार से जानते हैं.

calender

Court Marriage Rule: बॉलीवुड इंडस्ट्री के फेमस एक्टर अरशद वारसी आजकल अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. दरअसल, अरशद ने 25 साल पहले यानी साल 1999 में मारिया से शादी की थी लेकिन उन्होंने अपनी शादी को रजिस्टर नहीं करवाया था. वहीं अब उन्होंने अपनी शादी को कोर्ट में रजिस्टर करवाया है. इस बारे में जब एक्टर से सवाल किया गया कि, उन्होंने इतने दिन बाद ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा कि, ये हमने कानून की वजह से किया है.

उन्होंने बताया कि ये बात पहले पता नहीं थी कि, प्रॉपर्टी खरीदते समय या कभी भी दोनों में से किसी की डेथ हो जाए तो प्रूफ के तौर पर ये होना जरूरी है. इस बीच आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि, कोर्ट मैरिज क्या होता है, इसका नियम और कानून क्या है, क्या समलैंगिक या विदेशियों को भारत में कोर्ट मैरिज करने का अधिकार होता है. तो चलिए इस बारे में सब कुछ विस्तार से जानते हैं.

कैसे होता है कोर्ट मैरिज

वैसे तो भारत में पारंपरिक रीति रिवाज के साथ समाज के सामने लड़का और लड़की शादी के पवित्र बंधन में बंधते हैं लेकिन इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं जो कोर्ट में शादी करते हैं. कोर्ट मैरिज उनलोगों के लिए एक बेस्ट ऑप्शन है जो अपनी शादी में ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते हैं या किसी को सामाजिक स्वीकृति नहीं मिल पा रही है. किसी भी जाती, धर्म या वर्ग के लड़का और लड़की कोर्ट में जाकर शादी कर सकते हैं. कोर्ट में शादी ऑफिसर के सामने होती है उसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करना होता है. इसके बाद लड़का और लड़की साइन करते हैं और कानूनी तौर पर पति पत्नी बन जाते हैं.

भारत में क्या है कोर्ट मैरिज के नियम

स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़की की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए वहीं लड़का का उम्र 21 साल होना चाहिए. इसके अलावा दोनों मानसिक रूप से स्वस्थ और शादी के लिए सहमत होना चाहिए. सबसे जरूरी बात यह है कि, दोनों में से कोई भी पहले से शादीशुदा नहीं होना चाहिए क्योंकि नियम उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई हो सकती है.

कोर्ट में शादी करने के लिए ऑफलाइन या ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा और इसके साथ कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे आधार कार्ड, एजुकेशन के दस्तावेज, पासपोर्ट साइज फोटो, निवास प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, अगर तलाक हुआ हो तो उसका सर्टिफिकेट या विधवा है तो उसके पहले पति का डेथ सर्टिफिकेट लगाने होते हैं.

इस प्रक्रिया के बाद 30 दिन का नोटिस पीरियड दिया जाता है जिसके बाद सभी डॉक्यूमेंट  वेरीफाई होता है और फिर शादी करने के लिए कोर्ट की तरफ से तारीख मिलती है. शादी की तय तारीख के दिन लड़का लड़की को 2 से 3 गवाह के साथ रजिस्ट्रार के सामने उपस्थिति होना होता है.

इस दौरान लड़का लड़की से साइन लिया जाता है और पूछा जाता है कि, ये शादी बिना किसी दबाव में उनकी मर्जी से हो रही है या नहीं. वहीं लड़का लड़की शादी की मंजूरी मिलने के बाद उसी दिन सर्टिफिकेट जारी कर दिया दाता है. शादी के गवाह के लिए कपल के दोस्त या परिवार या कोई भी हो सकती है लेकिन मुस्लिम मैरिज एक्ट के अनुसार केवल पुरुष ही गवाह बन सकते हैं.

कोर्ट मैरिज के लिए कितनी फीस देनी पड़ती है

कोर्ट मैरिज की फीस इस बात पर निर्भर है कि, शादी करने वाले लड़का-लड़की किस धर्म के हैं. इसके अलावा पहले से शादीशुदा है या नहीं, दोनों का धर्म एक है या नहीं और किस कानून के तहत शादी कर रहे हैं. मैरिज एक्टर के अनुसार हिंदू विवाह अधिनियम, ईसाई विवाह अधिनियम, विदेशी विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम के लिए न्यूनतम फीस 1 हजार रुपये होती है. First Updated : Sunday, 18 February 2024