7 नहीं ज्यादा लोगों की हुई है मौत? दमोह के लंडन वाले फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने पहले भी कई अस्पतालों में किया काम
MP fake cardiologist: दमोह के मिशन अस्पताल में खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर इलाज करने वाले नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन कैम की गिरफ्तारी के बाद सनसनी फैल गई है. आरोपी पर सात मरीजों की मौत का आरोप है और अब उसकी जांच का दायरा पूरे देश में फैलता जा रहा है.

MP fake cardiologist: मध्य प्रदेश के दमोह जिले में खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर काम करने वाले नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन कैम की गिरफ्तारी के बाद उसके खिलाफ चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. यूपी के प्रयागराज से गिरफ्तार किए गए इस फर्जी डॉक्टर पर दमोह के मिशन अस्पताल में सात मरीजों की मौत का आरोप है. अब पुलिस जांच कर रही है कि क्या उसने देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की धोखाधड़ी की है.
नरेंद्र यादव को भोपाल की एक एजेंसी के माध्यम से मिशन अस्पताल में 8 लाख रुपये मासिक वेतन पर रखा गया था. दो महीने के भीतर उसने 70 से अधिक मरीजों की जांच की और 13 का ऑपरेशन किया, जिनमें से 7 की मौत हो गई. यह मामला अब एक राज्य तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देशभर के अस्पतालों तक जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है.
प्रयागराज से हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने नरेंद्र यादव को प्रयागराज से गिरफ्तार किया और बताया कि वह मिशन अस्पताल में बिना किसी वैध मेडिकल रजिस्ट्रेशन के काम कर रहा था. आरोपी ने कार्डियोलॉजिस्ट का झूठा दावा किया और बिना योग्य प्रमाणपत्रों के मरीजों का इलाज किया.
देशभर में हो रही जांच
दमोह पुलिस अधीक्षक श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने जानकारी दी कि आरोपी ने अन्य राज्यों के अस्पतालों में भी काम किया है. पुलिस अब उन अस्पतालों से संपर्क कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं उसने और लोगों की जान तो नहीं ली.
फर्जी प्रमाणपत्र और योग्यता पर सवाल
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.के. जैन की शिकायत के अनुसार, एन जॉन कैम ने बिना मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण कराए एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी कीं. मिशन अस्पताल द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में भी जरूरी रजिस्ट्रेशन डिटेल्स नहीं थीं, जिससे उसकी योग्यता पर गंभीर संदेह पैदा हुआ.
तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट
कलेक्टर सुधीर कोचर के निर्देश पर गठित डॉ. एम.के. जैन, डॉ. विशाल शुक्ला और डॉ. विक्रांत सिंह चौहान की टीम ने पाया कि आरोपी की प्रक्रियाओं के बाद कई मरीजों की जान गई. उसकी डिग्रियों की भी कोई पुष्टि नहीं हो सकी.
नरेंद्र यादव ने आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल से प्रमाणपत्र प्राप्त करने का दावा किया था, लेकिन जांच में पता चला कि उसके रजिस्ट्रेशन नंबर का कोई रिकॉर्ड ऑनलाइन डेटाबेस में नहीं है. इससे उसकी साख पूरी तरह संदिग्ध हो गई है.
अचानक अस्पताल और होटल से गायब
नरेंद्र यादव 12 फरवरी से जिस होटल में रह रहा था, वहां से भी वह अचानक गायब हो गया. इसी दौरान वह मिशन अस्पताल से भी इस्तीफा देकर फरार हो गया, जिससे उस पर शक और गहरा गया.
अब अधिकारी यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या नरेंद्र यादव वही व्यक्ति है जिसे पहले तेलंगाना में धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था.
झूठे दावों की कहानी
कैम या नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का दावा है कि उन्होंने 1996 में नॉर्थ बंगाल विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है, 2001 में लंदन के सेंट जॉर्ज अस्पताल से एमआरसीपी की डिग्री हासिल की है और डॉ. ए जॉन कैम के तहत इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी में प्रशिक्षण पूरा किया है. हालांकि, उनकी योग्यता और साख को लेकर संदेह अभी भी चल रही जांच का केंद्र बना हुआ है.


