Death Anniversary of Dr Bhimrao Ambedkar: भारत 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की याद में महापरिनिर्वाण दिवस मनाता है. भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाले भीमराव अंबेडकर को संविधान के जनक के रूप में भी जाना जाता है, उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था. बाबासाहेब ही थे जो छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई से लड़े. आज (6 दिसंबर) भीमराव अंबेडकर की 'डेथ एनिवर्सरी' है, इस मौके पर आपको बाबा साहेब के जीवन के आखिरी दिनों के बारे में बताएंगे.
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर को अपने जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था, तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. विदेश में पढ़ाई में पढ़ाई करके वो देश लौटे और यहां पर मौजूद कई बुराईयों को खत्म करने के लिए काम किया. उस वक्त पर जाप-पात और छुआछूत की बुराई समाज में अपने चरम पर थी. बाबा साहेब ने इनके खिलाफ आवाज उठाई.
05 दिसंबर 1956 की सुबह
6 दिसंबर को भीमराव अंबेडकर की मृत्यु हुई थी, जानकारी के मुताबिक, इससे एक दिन पहले वो अपनी पत्नि से नाराज थे. बात 05 दिसंबर 1956 की है जब डॉ. भीमराव अंबेडकर सोकर उठे थे, 16 सालों तक बाबा साबेह के सहायक रहे नानक चंद रत्तू उनके घर पर आए थे. वो उनके उठ ने का इंतजडार कर रहे थे, ताकि बाबा साहेब से उजाजत लेकर वो ऑफिस के लिए निकल सकें. उस दौरान उनके घर पर पत्नि सविता अंबेडकर और डॉक्टर मालवंकर भी थे. ये डॉक्टर अक्सर बाबा साहेब की हालत की जांच के लिए आते रहते थे.
क्यों थे पत्नि से नाराज़?
05 दिसंबर को उनकी पत्नि सविता अंबेडकर रोजमर्रा के सामान खरीदने के लिए डॉ. मालवंकर के साथ बाजार चली गईं. उस वक्त बाबा साहेब घर पर ही थे. रत्तू इजाजत लेकर ठफिस निकल गए. शाम को जब वो वापस आए तब तक भी विता अंबेडकर वापस नहीं लौटी थीं, तब उन्होंने देखा कि बाबा साहेब गुस्से में थे, उनका गुस्सा इस बात का था कि वो बीमार हैं और उनकी पत्नी ध्यान से नहीं रख रहीं हैं. कुछ देर बाद सविता वापस आईं, उनको देखकर बाबा साहेब का गुस्सा फूट पड़ा.
पत्नी को लगाई डांट
सविता मार्केट से वापस आईं तब बाबा साहेब उनका इंतज़ार ही कर रहे थे, जैसे ही वो घर में आईं वैसे ही पत्नि पर गुस्सा करते हुए बोले कि अगर मेरी तबियत ठीक नहीं है तो वो इतनी देर तक बाहर कैसे रह सकती हैं. उनका गुस्सा देखकर सविता कुछ नहीं बोली उनको लगा कि अगर अब कुछ बोला तो ये और ज़्यादा भड़क सकते हैं. लेकिन कुछ देर बाद बाबा साहेब खुद ही शांत हो गए.
उसी रात में तबियत हुई खराब
इस सब के बाद उसी रात में ही जैन मतावलंबियों का एक प्रतिनिधिमंडल से मिलना था, लेकिन उनको अपनी तबियत ठीक नहीं लग रही थी. इसिलिए वो मीटिंग उन्होंने अगले दिन रख दी, लेकिन इतने में वो लोग आ चुके थे. उनके मीटिंग के बाद उनको रत्तू बाथरूम ले गए, वहां से आकर वो सोफे पर आंखें बंद करके बैठ गए. जो लोग मिलने आए थे वो बाबा को एक समारोह के लिए आंमत्रण देने आए थे. इसी बीच डॉक्टर ने उनका चैकअप किया और मुंबई के लिए रवाना हो गए.
डिनर में चावल खाने की फरमाइश
रात होने पर खाना तैयार होने के बाद उनको बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ चावल ही खाऊंगा. सोफे पर बैठे वो कुछ गुनगुना रहे थे, रसोईया के दोबारा आवाज लगाने पर वो उठे और डाइनिंग की तरफ चले गए. खाने के बाद वो रोज की तरह ही अपने कमरे में चले गए. जाते वक्त बाबा साहेब ने एक बार टेबल पर रखी किताबों को देखा. 'द बुद्धा एंड हिज धम्मा' को रत्तू से अपने पास रखने को बोला. उसपर कुछ देर काम किया फिर उसी किताब पर हाथ रख कर सो गए.
जब सुबह नहीं उठे अंबेडकर
बाबा साहेब पैर कुशन पर रखकर सोते थे, पत्नि सविता ने जब देखा तो उनको कुछ अलग लगा. वो पास गई तो उनको पता चला कि उनकी सांसें नहीं चल रही हैं. तभी उन्होंने रत्तू को कार लेने के लिए भेजा, रत्तू ने देखा कि श्रीमती अंबेडकर बेसुध सी थी, तब रत्तू ने बाबा साहेब की छाती पर मालिश करके उनके दिल की धड़कन लाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. रात में ही शायद किसी वक्त बाबा साहेब ये दुनिया छोड़ कर जा चुके थे. First Updated : Wednesday, 06 December 2023