Explainer: जय जवान जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री की पुण्य तिथि, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें

Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: 11 जनवरी को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, लाल बहादुर शास्त्री की पुण्य तिथि है. शास्त्री जी के नेतृत्व ने राजनीतिक विभाजनों को पार कर देश की अंतरात्मा पर एक अमिट छाप छोड़ी.

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Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: उत्तर प्रदेश के एक साधारण परिवार में जन्मे शास्त्री जी का जीवन गांधीवादी आदर्शों का उदाहरण है. उनका राजनीतिक उत्थान सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण से हुआ, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता से साफ दिखाई देता है. जमीनी स्तर पर सक्रियता से लेकर प्रमुख मंत्री भूमिकाओं तक, शास्त्री के शांत संकल्प ने उन्हें व्यापक सम्मान दिलाया. लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से शहर मुगलसराय में हुआ था. वहीं, 11 जनवरी 1966 को ये महान शख्सियत इस दुनिया से अलविदा कह गई थी. 

साधारण परिवार से था ताल्लुक

लाल बहादुर का छोटे शहर में पालन-पोषण किसी भी तरह से आकर्षक नहीं था, लेकिन उनके जीवन में गरीबी के बावजूद उनका बचपन काफी खुशहाल था. जैसे-जैसे वे बड़े हुए वैसे ही लाल बहादुर शास्त्री औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए देश के संघर्ष में अधिक रुचि रखने लगे. आजादी की आहट के जवाब में सोलह साल के एक बच्चे के अपनी पढ़ाई छोड़ने के अटूट संकल्प ने उसकी मां की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया था.

Lal Bahadur Shastri

23 मई, 1952 को केंद्र सरकार में रेल मंत्री बनाए गए, हालाँकि, एक रेल दुर्घटना हुई जिसमें हताहत हुए और परिणामस्वरूप, उन्होंने नैतिक आधार पर पद से इस्तीफा दे दिया. लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो किसी भी नेता या बड़ी हस्ती के व्यक्तित्व को बताते हैं. 

लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी खास बातें

बचपन में लाल बहादुर अपने स्कूल नंगे पैर कई मील चलकर जाते थे, तब भी जब सड़कें गर्मी की तपिश में जलती थीं. घर में उन्हें प्यार से 'नन्हे' कहा जाता था, शुरुआती दिनों में वह बैग और सिर पर कपड़ा रखकर आसानी से गंगा नदी पार कर लेते थे. लाल बहादुर वाराणसी में काशी विद्यापीठ में शामिल हो गये. विद्वतापूर्ण सफलता के प्रतीक के रूप में उन्हें विद्यापीठ में शास्त्री की उपाधि मिली. 

लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने

पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. 09 जून 1964 को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. वह केवल डेढ़ साल तक ही प्रधानमंत्री रह सके और इसके बाद 11 जनवरी 1966 को उनकी रहस्यमयी मौत हो गई. उनकी रहस्यमयी मौत की कहानी भी अब तक रहस्यमयी बनी हुई है. कहा जाता है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, वहीं ये भी कहा जाता है कि उन्हें जहर देकर मारा गया था.

लाल बहादुर शास्त्री

लाठीचार्ज छोड़ पानी की बौछार की शुरुआत

जब शास्त्री उत्तर प्रदेश में पुलिस और परिवहन मंत्री थे, तो उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज नहीं किया, बल्कि पानी की बौछार का इस्तेमाल किया. उनके कार्यकाल के दौरान ही महिलाओं को कंडक्टर के रूप में नियुक्त करने की पहल की गई थी. लाल बहादुर शास्त्री ने देश में खाद्य उत्पादन पर जोर दिया. इसके लिए हरित क्रांति को बढ़ावा दिया. वो भारत को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए श्वेत क्रांति में अहम भूमिका में थे. उन्होंने ही 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड बनाया. 

दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए दिया इस्तीफा

शास्त्री जी ने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्होंने एक दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी ली थी जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी. शास्त्री 1961 से 1963 तक गृह मंत्री भी रहे. इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पहली समिति का गठन किया. एक कहानी उनके बेटे से नाराज होने की भी काफी मशहूर है, कहते हैं कि जब उनके बेटे को नौकरी में प्रमोशन मिला था उसी दौरान शास्त्री जी उनसे नाराज थे तब शास्त्री जी ने एक आदेश जारी किया जिसमें उन्होंने अपने बेटे की पदोन्नति को उलटने का आदेश दिया. 

लाल बहादुर शास्त्री

'जय जवान जय किसान' का नारा 

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने देश का नेतृत्व किया. युद्ध के बाद उस समय देश में सूखे के हालात पैदा हो गए थे. शास्त्री ने भारत के लोगों से एक दिन का उपवास करने का आग्रह किया और प्रसिद्ध नारा 'जय जवान जय किसान' दिया. शास्त्री ने 5000 रुपये का कार ऋण लिया था. ताशकंद में उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने सारा ऋण चुकाया था. 

हफ्तों तक नहीं खाया खाना 

सरल जीवन जीने के लिए जाने जाने वाले शास्त्री जी और उनका परिवार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान गेहूं की आपूर्ति कम करने की अमेरिका की धमकी के जवाब में कई हफ्तों तक बिना कुछ खाए रहे. 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल वचन 

1. हम विश्व शांति और शांतिपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, न केवल अपने लिए बल्कि सभी लोगों के लिए.

2. हम अन्य देशों से केवल तभी सम्मान प्राप्त कर सकते हैं जब हम आंतरिक रूप से मजबूत हों और अपने देश से गरीबी और बेरोजगारी को खत्म करने में सक्षम हों.

3. यदि एक भी व्यक्ति ऐसा रह जाए जो किसी भी प्रकार से अछूत समझा जाए तो भारत शर्म से अपना सिर झुकाने पर मजबूर हो जाएगा.

4. लोगों को सलाह देने और खुद उस पर ध्यान न देने को लेकर मुझे हमेशा असहजता महसूस होती है. 

5. देश की असली ताकत अनुशासन और सहयोग से आती है.

6. हम स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं- प्रत्येक देश के नागरिकों को बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त होकर अपने रास्ते पर चलने का अधिकार. 

7. गरीबी और बेरोजगारी की व्यापकता के कारण, हम परमाणु हथियारों पर लाखों-करोड़ों खर्च करने का जोखिम नहीं उठा सकते. First Updated : Thursday, 11 January 2024