Death Anniversary: कौन थे विलायत खान, जो एक साल में 8 महीने विलायत में ही गुजारते थे
Vilayat Khan Death Anniversary: भारत के मशहूर सितार वादक विलायत खान भारतीय संगीत के एक प्रमुख सितार वादक थे. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनकी महानता के लिए जाना जाता है.
Vilayat Khan Death Anniversary: भारतीय संगीत को नई पहचान देने वाले सितार वादक विलायत खान अपने दौर के महान सितारवादक माने जाते थे. गायिकी आंग की शुरुआत करने वाले विलायत खान सितार वादन के माध्यम से मानव आवाज की बारीकियों को दोहराया. 28 अगस्त 1927 को बांग्लादेश के गोरखपुर में जन्मे खान एक इमदाद खानी घराने से ताल्लुक रखते थे. जिसे इटावा घराना भी कहा जाता है. उनके पास संगीत की वंशावली थी जो कई पीढ़ियों तक चली.
आज ही के दिन विलायत खान हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. तो चलिए उनके डेथ एनिवर्सरी पर उनके बारे में जानते हैं कि, वह एक साल में 8 महीने विलायत में ही क्यों गुजारते थे.
विलायत खान का जीवन परिचय
विलायत खाँ का जन्म 1928 में गौरीपुर (इस समय बांग्लादेश) में एक संगीत घराने में हुआ था. उनके पिता उस्ताद इनायत हुसैन ख़ाँ भी एक महान सितार वादक थे. पिता की मौत के बाद उन्होंने अपने नाना और मामा से सितार बजाना सीखा था. उनकी पहली सितार वादन की रिकॉर्डिंग 8 साल की उम्र में हुई थी. उन्होंने 5 दशक से भी ज्यादा समय तक सितार की दुनिया में अपने संगीत का जादू बिखेरा है. उन्होंने सितार वादन की अपनी अलग शैली विकसित की थी जो लोगों को खूब पसंद आता था.
एक साल में 8 महीने विलायत में ही गुजारते थे विलायत खान
कहा जाता है कि विलायत खान भारत के पहले ऐसे संगीतकार थे जिन्होंने भारती की आज़ादी के बाद इंग्लैंड में जाकर संगीत पेश किया था. विलायत ख़ाँ एक साल में आठ महीने विदेश में ही बिताया करते थे और न्यू जर्सी उनका दूसरा घर बन चुका था. विलयात खाने ने गायकी अंग की शुरुआत की जो एक वादन शैली है जिसकी आवाज मुखर आवाज से मिलती जुलती है. उन्होंने सितार के तारों को पांच सुरों तक खींचकर ऐसा किया जो आज भी बड़े-बड़े वादक नहीं कर पाते हैं.
पद्मश्री और पद्म विभूषण सम्मान को ठुकराया
विलायत खान एकमात्र ऐसे सितार वादक थे जिन्हें उनकी कला के सम्मान में राष्ट्रपति फ़ख़रूद्दीन अली अहमद ने उन्हें आफ़ताब-ए-सितार का सम्मान दिया था. हालांकि उन्होंने 1964 में पद्मश्री और 1968 में पद्म विभूषण सम्मान को ठुकरा दिया था. उस वक्त उन्होंने भारत सरकार से कहा था कि भारत सरकार ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान का समुचित सम्मान नहीं किया.
कैंसर से हुई मौत
आज ही वो दिन है जब भारतीय संगीत के महान सितार वादक विलायत खान हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए. 13 मार्च 2004 को उनका निधन फेफड़े में कैंसर होने के कारण हुआ. जसलोक अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अपना दम तोड़ दिया. उन्होंने अपना अधिकतर जीवन कोलकाता में ही बिताया. उनका अंतिम संस्कार उनके पिता की कब्र के पास दफना कर किया गया.